Rambhadracharya on Ambedkar and Mayawati over Manu Smriti, चित्रकूट. अपने बयानो को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महराज का एक बयान सामने आया है. उन्होंने भारतीय न्याय सहिंता को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा है कि मनु महाराज से लेकर ऋषियों तक जो परंपरा रही वह न्याय देने की परंपरा रही है. मनु को गाली देने वालों को क्या कहूं? बहन कहने में संकोच लग रहा, मनु को गाली देने की शुरुवात मायावती ने की. लेकिन मायावती को मनुस्मृति के बारे में एक भी अक्षर का ज्ञान नहीं.

रामभद्राचार्य ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को लेकर भी बयान दिया. उन्होंने कहा कि बाबा साहब अम्बेडकर संस्कृत को ठीक ठाक जानते तो मनु स्मृति को जलाने का प्रयास नहीं करते. उन्हें भी संस्कृत का एक भी का भी ज्ञान नहीं था. मैं कह सकता हूं कि मनु स्मृति में एक अक्षर भी राष्ट्र निर्माण के विरोध में नहीं लिखा गया. महाभारत काल की न्याय प्रक्रिया अधूरी थी और रामायण काल की न्याय प्रक्रिया समग्र थी, भगवान श्रीराम ने भी मनु को आधार बनाकर न्याय किया.

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न्याय व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता- रामभद्राचार्य

दरअसल, रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय में भारतीय न्याय सहिता 2023 पर आयोजित एक गोष्ठी में शामिल हुए थे. जहां उन्होंने ये बयान दिया. उन्होंने कहा कि जगद्गुरु ने आगे कहा कि भारत के संविधान में अभी तक करीब 129 बार संशोधन हो चुके हैं, लेकिन न्याय व्यवस्था में अभी भी सुधार की आवश्यकता है.