रायपुर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता, पूर्व विधायक एवं आर्थिक विशेषज्ञ रमेश वर्ल्यानी ने मोदी सरकार की एक्साइज ड्यूटी छूट के पीछे छिपे असली सच को उजागर करते हुए भाजपा नेताओं को चुनौती दी कि वे इस मामले को केंद्र के समक्ष उठाने का साहस दिखलाएं.

रमेश वर्ल्यानी ने कहा कि मोदी सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में क्रमशः 5 एवं 10 रू. की कमी करके राज्यों से अपील की कि वे पेट्रोल-डीजल में वेट टैक्स में कमी करें. इस तरह उन्होंने गेंद राज्यों के पाले में डाल दी और जनता के बीच यह संदेश दिया कि उन्होंने तो एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर दी, अब राज्यों को आगे पहल करना चाहिए. लेकिन एक्साइज ड्यूटी में छूट का असली सच यह है कि केंद्र सरकार द्वारा वसूल की जाने वाली एक्साइज ड्यूटी देश के संघीय कोष में जाती है, जिसमें केंद्र एवं राज्यों की हिस्सेदारी रहती है.

उन्होंने बताया कि केंद्रीय वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुसार संघीय कोष के राजस्व में 40 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को प्राप्त होता है. डीजल पर प्रदत्त 10 रुपए की छूट में से 6 रुपए केंद्र सरकार का और 4 रुपए राज्य सरकार का है, पेट्रोल में 5 रुपए की छूट में 3 रुपए केंद्र सरकार का तथा 2 रुपए राज्य सरकार का है. चूंकि एक्साइज ड्यूटी बेस-प्राइस में शामिल है, अतएव 4 नवंबर से ही डीजल में लगने वाले वेट पर 2.50 रुपए और पेट्रोल पर लगने वाले वेट पर 1.25 रुपए की राहत स्वतः प्राप्त हो गई.

छत्तीसगढ़ की जनता को 4 नवंबर से डीजल पर 12.50 रुपए एवं पेट्रोल पर 6.25 रुपए की छूट प्राप्त हुई है. इस प्रकार डीजल पर प्रदत्त कुल छूट 12.50 रुपए में से 6 रुपए केंद्र सरकार का तथा 6.50 रुपए राज्य सरकार का है. इसी प्रकार पेट्रोल पर प्रदत्त कुल छूट 6.25 रू. में से केंद्र सरकार का 3 रू. एवं राज्य सरकार का 3.25 रू. का है,

वर्ल्यानी ने आगे कहा कि एक्साइज ड्यूटी में कटौती तथा तदानुरूप वेट में कमी के परिणामस्वरूप छत्तीसगढ़ को 16000 करोड़ रुपए की राजस्व क्षति हुई है. लेकिन प्रदेश के भाजपा नेतागण अभी भी वेट में कमी किए जाने की मांग कर रहे हैं, जबकि सीमावर्ती राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ में वेट की दर कम है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वाणिज्यिक कर मंत्री टीएस सिंहदेव ने स्पष्ट घोषणा की है कि सीमावर्ती राज्यों की वेट-दरों का तुलनात्मक अध्ययन कर वेट की दरों में कमी पर विचार कर निर्णय लिया जाएगा. उन्होंने भाजपा नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि क्या भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह मांग करने का साहस दिखलाएंगे कि पेट्रोल-डीजल पर थोपी गई एक्साइज ड्यूटी एवं सेस में कमी की जाकर उसे यूपीए सरकार की दरों पर लाया जाए?

वर्ल्यानी ने कहा कि इतिहास गवाह है कि जब भी छत्तीसगढ़ राज्य के हितों का सवाल आता है- चाहे जीएसटी बकाया राशि का भुगतान हो, खनिज रॉयल्टी हो, धान उपार्जन की बढ़ोत्तरी का सवाल हो, धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति का मामला हो. इन सारे सवालों पर भाजपा नेता प्रधानमंत्री मोदी के सामने कुछ भी कहने का साहस नहीं जुटा पाते हैं. छत्तीसगढ़ की जनता यह सब देख रही है कि भाजपा नेता किस कदर डरे-सहमे हुए हैं.