रायपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता और पूर्व विधायक रमेश वर्ल्यानी ने केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा कोरोना महामारी के कारण अर्थव्यवस्था में आई गिरावट को लेकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि राहत देने के नाम पर 6.28 लाख करोड़ रूपये का पैकेज नहीं मात्र कर्ज पैकेज है, जिससे अर्थव्यवस्था को कोई गति नहीं मिलेगी. इसका हश्र भी पूर्व में घोषित 20 लाख करोड़ के पैकेज के समान होगा, जिससे न औद्योगिक-उत्पादन बढ़ा और न ही रोजगार का सृजन हुआ.

रमेश वर्ल्यानी ने कहा कि मोदी सरकार को अर्थव्यवस्था की बुनियादी आवश्यकताओं की समझ नहीं है. भारत की जी.डी.पी. में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी निजी डोमेस्टिक कंजम्पशन की है. कोरोना माहमारी और लाकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई है. औद्योगिक-उत्पादन बंद होने से कामगारों की नौकरिया चली गई वेतनभोगी वर्ग की आय कम हुई. असंगठित क्षेत्रों में आय तो शून्य स्तर पर चली गई.

एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 2020 में भारत के मध्यम आय वर्ग के 3.2 करोड़ लोग निम्न आय-वर्ग में और 7.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा नीचे चले गए. कोरोना की दूसरी लहर मे अप्रेल-मई 2021 में 2.25 करोड़ लोगो की नौकरियां चली गई. भारत के जीडीपी में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी घरेलू उपभोक्ताओं के उपभोग और क्रयशक्ति पर निर्भर है, लेकिन कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई है.

लॉकडाउन के पहले दौर में औद्योगिक उत्पादन बंद होने से कामगारों की नौकरियां चली गई. वेतन भोगी वर्ग की आय कम हुई और असंगठित क्षेत्रों में आय तो शून्य स्तर पर चली गई. एक सर्वे के अनुसार 2020 में भारत के मध्यम आय वर्ग के 3.2 करोड़ लोग निम्न आय वर्ग में और 7.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे चले गए. कोरोना की दूसरी लहर में अप्रेल-मई 2021 में 2.25 करोड़ लोगों की नौकरियां चली गई. करोनो संक्रमण काल में आम आदमी की बचत लगभग खत्म हो गई, जिसका उदाहरण प्रावीडेंट फंड और बैंको के सेविंग खातों से बड़ी मात्रा में निकाली गयी धनराशि है.

रमेश वर्ल्यानी ने कहा कि देश को आर्थिक गिरावट से उबारने का एक मात्र रास्ता कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी द्वारा सुझाई गई न्याय योजना है, जिसके तहत गरीब लोगों को सीधे नगद धनराशि का नियमित पैकेज दिया जाए. इससे अर्थव्यवस्था में नई मांग पैदा होगी. औद्योगिक उत्पादन को नई गति मिलेगी. क्या मोदी सरकार आम जनता के हित में डायरेक्ट केश बेनीफिट पैकेज लाने का साहस दिखाएगी? यह प्रश्न देश के आम आदमी का है.