शब्बीर अहमद,भोपाल। आईएएस अधिकारी नियाज़ खान के द कश्मीर फाइल्स को लेकर किए गए ट्वीट पर सियासी बयानबाजी शुरू हो गया है. भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने ट्वीट कर पूछा है कि देश में कहाँ मारा जा रहा है मुसलमानों को ? विधायक ने नियाज के खिलाफ सरकार से स्पष्टीकरण लेने की मांग की है. नियाज़ ने लिखा था कि मुसलमानों को मारा जा रहा है. इस पर भी फ़िल्म बननी चाहिए. किसी वर्ग का रहनुमा बनने का शौक़ है तो IAS की नौकरी छोड़ कर मैदान में आइए.
भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने ट्वीट कर लिखा है कि यदि इस इस्लामिक कट्टरवाद को नहीं रोका गया, तो भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश के लिए कितना घातक होगा. इस पर रिसर्च कर नॉवेल कोई IAS (आप जैसे)द्वारा लिखा जाएगा तो निश्चित रूप से यह देश को आगाह करने के लिए #TheKasmirFiles से ज़्यादा कारग़र सिद्ध होगा. भारतीय प्रशासनिक सेवा में रहते हुए सिर्फ़ एक वर्ग के प्रति आपकी चिंता व्यक्त करना कहीं न कहीं संघ लोक सेवा आयोग के आचरण नियमों के विपरीत है, फिर भी आपको किसी वर्ग का रहनुमा बनने का शौक़ है तो #IAS की नौकरी छोड़ कर मैदान में आइए.
चलिए 30 साल बाद ही सही पर आपने माना तो की कश्मीरी पंडितो-हिंदुओं के साथ अनन्य, अत्याचार, बर्बरता हुई. 30 साल बाद आपने माना तो इस्लामिक कट्टरवाद, जिहाद के लिए कैसे हिंदुओं को मिट्टी में मिलाने की सोच का उदाहरण 19 जनवरी 1990 को पेश किया गया. मैं मध्यप्रदेश सरकार से भी आग्रह करता हूँ की इनके कथन पर स्पष्टीकरण लिया जाए और पूछा जाए की देश में ऐसा कौन सा प्रांत है जहाँ मुसलमानों को मारा जा रहा है.
वैसे तो देश में कही दंगे नहीं हो रहे न हो पाएँगे पर पूर्व में हुए भिवंडी, भागलपुर, मुज़फ़्फ़रनगर, बंगाल, केरल में हिंदू मुस्लिम दंगो में भी हिंदूओ की मौत का आँकड़ा मुस्लिमों की मौत से ज़्यादा निकलेगा. एक बात और नियाज़ खान जी… मुस्लिमो के लिए कीड़ा मकोड़े जैसे शब्दों का इस्तेमाल न करें क्योंकि भारत में सच्चे देशभक्त APJ अब्दुल कलाम साहब, अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ, जैसे भी हुए है.
आईएएस नियाज़ खान ने ट्वीट कर लिखा है कि द कश्मीर फाइल ब्राह्मणों का दर्द दिखाती है. उन्हें पूरे सम्मान के साथ कश्मीर में सुरक्षित रहने की अनुमति दी जानी चाहिए. उन्होंने द कश्मीर फाइल्स के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री का नाम लिए बिना कहा कि निर्माता को कई राज्यों में बड़ी संख्या में मुसलमानों की हत्याओं को दिखाने के लिए भी एक फिल्म बनानी चाहिए मुसलमान कीड़े नहीं बल्कि इंसान और इस देश के नागरिक हैं.
नियाज खान ने सोशल मीडिया पर लिखा कि अलग-अलग मौकों पर मुसलमानों के नरसंहार को दिखाने के लिए एक किताब लिखने की सोच रहा था, ताकि कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्म कुछ निर्माता द्वारा बनाई जा सके. अल्पसंख्यकों के दर्द और पीड़ा को भारतीयों के सामने लाया जा सके.
बता दें कि नियाज़ खान एमपी कैडर के आईएएस अफसर है. अब तक वे 7 किताबें भी लिखा चुके हैं. वे अक्सर अलग-अलग मामलों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं. ताजा मामला कश्मीर फिल्म का है जब प्रदेश या देश के किसी आईएएस अफसर ने सार्वजनिक रूप से अपना मंतव्य व्यक्त किया है.
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