आशुतोष तिवारी, रीवा। टेलीवीजन, मोबाइल और इंटरनेट की दुनिया में लोग अपनी संस्कृति और परंपरा को भूलते जा रहे हैं। बावजूद इसके धार्मिक और पौराणिक को जीवित रखने के लिए  रीवा में 18 दशक से रामलीला का निरंतर मंचन किया जा रहा है। प्राचीन ‘नृत्य राघव मंदिर’ में यह रामलीला 181 वर्षो से होती चली आ रही है। मंदिर में भगवान राम की नृत्य करती हुई दुनियां की इकलौती मूर्ति स्थापित है।

रीवा के नृत्य राघव मंदिर में निरंतर 181 सालों से रामलीला का मंचन किया जा रहा है। भक्तिमय, पौराणिक, आध्यत्मिक और धार्मिक परंपरा को जीवित रखने के लिए यह निरन्तर चली आ रही है। दूर-दूर से श्रध्दालु इसे देखने आते है और देर रात तक रामलीला का रसपान करते हैं।

महाराज रघुराज सिंह के समय से हो रहा रामलीला
काशी विश्वनाथ की रामलीला से प्रभावित होकर रीवा रियासत के महाराज रघुराज सिंह ने नृत्य राघव मंदिर में रामलीला कि शुरू की थी। प्राचीन नृत्य राघव मंदिर लगभग 450 साल पुराना है। यहाँ भगवान राम की नृत्य करती हुई दुनिया की इकलौती मूर्ति स्थापित है। ऐसा कहा जाता है की बघेल राजपूत महाराज रघुराज सिंह एक बार काशी विश्वनाथ गए थे। वहां उन्होंने रामनगर के रामलीला का भी दर्शन किया था महाराज को ये रामलीला इतनी पसंद आई की उन्होंने रीवा में करने का संकल्प लिया। उसके बाद रीवा में भी रामलीला का आयोजन शुरू हुआ।

कोरोना महामारी भी नहीं रोक पाई रामलीला का मंचन 
181 सालों से निरंतर नृत्व राघव शरण मंदिर में रामलीला आयोजन चलता आ रहा है। इसकी शुरआत महाराजा रघुराज सिंह ने 1840 ई. में की थी।  भारत-चीन युद्ध के दौरान 1962 में देशभर के सांस्कृतिक कार्यक्रमो पर रोक लगा दी गई थी। बावजूद इसके यहाँ रामलीला का मंचन उस अवधि में किया गया. कोविड 19 महामारी के दौरान भी यहां कलाकारों ने रामलीला का मंचन किया। इस आयोजन का रामलीला के कलाकार बेसब्री करते हैं। वह इसे पूर्वजों की धरोहर मानते हैं। इसे जीवित रखने के लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं।

पहले एक महीने तक होता था मंचन
नृत्य राघव शरण मंदिर की रामलीला महोत्सव का धर्मानुरागियों, प्रबुद्ध वर्ग और आमजन मानस इंतजार करते हैं। रामलीला कथा को देखने के लिए दूर दूर से दर्शक आते हैं। महाराज इस आयोजन का पूरा ख़र्चा देते थे। किले की तरफ से हांथी-घोड़े भेजे जाते थे। भगवान श्रीराम हाथी पर सवार होकर नदी स्नान करने जाया करते थे। गाजे बाजे और बहमूल्य पोशाकों का इंतजाम किले की तरफ से किया जाता था। रामलीला समाप्त होने के बाद कलाकारों को सम्मानित भी किया जाता था। ये रामलीला पहले पूरे एक महीने तक चलती थी लेकिन अब नौ दिन होती है। अब इस मंदिर की पूरी जिम्मेदारी सरकार के हांथों में है।