Rann of Kutch: कच्छ का प्रसिद्ध रणोत्सव दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करने लगा है, इस साल रणोत्सव 15 मार्च तक चलेगा. जिसकी शुरुआत हो चुकी है. यहां बनने वाली टेंट सिटी में देशी-विदेशी पर्यटकों की भीड़ रहती है. बता दें कि रणोत्सव की मेजबानी करने वाले गांव धोर्डो को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन द्वारा विश्व के सर्वश्रेष्ठ पर्यटक गांव का पुरस्कार भी दिया जा चुका है. इस साल पर्यटक तारा दर्शन, पक्षी दर्शन और 5 हजार साल पुराने हड़प्पा सभ्यता के शहर धोलावीरा का आनंद लेने भी आ रहे हैं. राज्य सरकार के पर्यटन विभाग की ओर से कच्छ के धोरडो के सफेद रेगिस्तान में 125 दिवसीय रणोत्सव शुरू किया गया है. जिसमें देश-विदेश से पर्यटक आते हैं.
इस साल रणोत्सव 11 नवंबर से 15 मार्च तक चलेगा. रणोत्सव के दौरान पर्यटकों के लिए टेंट सिटी खास होती है, जो गुजरात के कच्छ को दुनिया में नई पहचान देती है. कच्छ के सफेद रेगिस्तान की सुंदरता दिखाने के लिए हर साल रेगिस्तान में एक टेंट सिटी बनाई जाती है. कभी बंजर भूमि के रूप में जाना जाने वाला रणोत्सव अब चार महीने तक चलने वाला रणोत्सव है. इस साल रणोत्सव का आयोजन ‘रण के रंग’ थीम पर किया गया है.
मुख्य आकर्षण टेंट सिटी है (Rann of Kutch)
गुजरात पर्यटन विभाग के मुताबिक, रणोत्सव का मुख्य आकर्षण यहां बसाई गई टेंट सिटी है. इस साल पर्यटकों के लिए सफेद रेगिस्तान में 3-स्टार होटल और रिसॉर्ट जैसी सुविधाओं से लैस 400 टेंट लगाए गए हैं. इस साल रणोत्सव में 11 नवंबर से शुरू होने वाली टेंट सिटी 15 माचर् तक चलेगी. पर्यटक टेंट सिटी में रहकर सफेद नमक रेगिस्तान की आकर्षक सुंदरता, लोक संस्कृति और पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लेने वाले हैं. रणोत्सव के दौरान पर्यटकों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा विभिन्न साहसिक खेलों का भी आयोजन किया जाता है.
पिछले 20 वर्षों में गुजरात का पर्यटन उद्योग काफी विकसित हुआ है. भौगोलिक रूप से विविधतापूर्ण गुजरात में कई ऐसे स्थान हैं जो दुनिया भर से पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करते हैं. बड़ी संख्या में पर्यटक विशेष रूप से कच्छ जिले में स्थित विश्व के एकमात्र सफेद रेगिस्तान (रण) को देखने आते हैं, जो क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा है और जो भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से उबरकर वापस पटरी पर आ गया है. कच्छ की कला, रंग-बिरंगी संस्कृति, आतिथ्य, परंपरा और संगीत के अनूठे संगम कच्छ रणोत्सव को वैश्विक पहचान मिली है. पर्यटक यहां लगे शिल्प स्टालों और फूड स्टालों पर लोगों की भीड़ रहती है.
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