कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय की जलपाईगुड़ी पीठ ने कहा, ‘यदि कोई महिला या लड़की मर्जी से अपना घर छोड़कर किसी के साथ जाती है तो भी उस व्यक्ति को महिला / लड़की के साथ जबरदस्ती संबंध नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि यह रेप की श्रेणी में आता है.’
जस्टिस सिद्धार्थ रॉय चौधरी ने एक व्यक्ति की रेप की सजा को बरकरार रखते हुए यह बयान दिया. इस व्यक्ति पर 2007 में एक लड़की के अपहरण और बलात्कार का आरोप था. दोषी व्यक्ति ने अदालत में कहा था, पीड़िता लड़की ने अपनी मर्जी से अपने पिता का घर उसके साथ आने के लिए छोड़ा था. उसने उसके साथ कोई भी अपराध नहीं किया. अदालत ने कहा, अगर आपका यह बयान सही भी है तब भी आपके पास पीड़िता का रेप करने का कोई अधिकार नहीं है. अगर हम, शिकायतकर्ता के पहले बयान पर जाएं, और अगर यह मान भी लिया जाए कि पीड़िता का अपहरण नहीं हुआ था और उसने खुद अपना घर छोड़ दिया था तब भी आरोपी को यह अधिकार नहीं मिल जाता है कि वह पीड़ित की निजता का हनन करे या रेप करे या फिर उसके साथ कोई यौन अपराध करे.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने मामले को सुनते हुए कहा कि पीड़ित लड़की ने अपने बयान में यह स्वीकार किया है कि वह लड़के के साथ सहमति से आई थी लेकिन उसने यह भी माना है। कि लड़के ने उसके साथ जबरदस्ती की थी और यौन अपराध को अंजाम दिया था. अदालत ने कहा, पीड़िता को सुनने के बाद उसके बयानों पर शक करने का और सबूत मांगने को कोई आधार इसलिए भी नहीं रह जाता है क्योंकि यह उसके साथ हुए हादसे का एक बार फिर से अपमान करने जैसा होगा.