नेहा केशरवानी, रायपुर. सीजीपीएससी 2022 के नतीजे जारी हो गए हैं. छत्तीसगढ़ में बेटियों ने बाजी मारी है. टॉप 15 में लड़कियों ने खास जगह बनाई हैं. नारायणपुर की रश्मि पोया ने 15वीं रैंक हासिल की हैं. रश्मि पोया CSEB में जूनियर इंजीनियर हैं. वर्किंग प्रोफेशनल होते हुए भी रश्मि ने पहले ही अटेम्प में CGPSC क्लियर किया. रश्मि ने कहा, मेरी सफलता के पीछे मेरे परिवार का बहुत बड़ा योगदान है. डिप्टी कलेक्टर पोस्ट को लेकर ही मेरा टारगेट था, मेरी सफलता में परिवार वालों ने हेल्प की और सबसे ज्यादा हेल्प मेरे टीचर का सपोर्ट रहा. टीचर ने गाइड किया, स्ट्रेटजी बनाना सिखाए.

आगे रश्मि ने कहा, मैं रेगुलर बेसिस पर गोल बनाती थी. मॉर्निंग में सोच लेती थी, क्या करना है. रात को सोने जाने से पहले सेटिस्फेक्शन होना चाहिए की गोल अचीव कर लिया. आज का गोल कंप्लीट कर लिया, वह सेटिस्फेक्शन होता था. सेटिस्फेक्शन की जो खुशी रहती है, वह आपको आगे बढ़ाने में मदद करती है.

आगे उन्होंने कहा, मेरा जन्म नारायणपुर में हुआ था. लाल बत्ती गाड़ी देखकर मन में ड्रीम था कि, उस पोजीशन तक पहुंचना है. उस पोजीशन में पहुंचने में टीचर्स को बताया तो मार्गदर्शन मिला. मैं वर्किंग प्रोफेशनल हूं. चैलेंजिंग यह था कि, मुझे टाइम बहुत कम मिलता था. कंपीटीटर्स को 8 घंटे ज्यादा मिलता था, क्योंकि मैं वर्किंग प्रोफेशनल हूं. लेकिन मैं जो अपना 7 घंटे देती थी, वह मैं 16 घंटे के बराबर देती थी. कंपीटीटर से ज्यादा तैयारी करती थी. कई बार थकावट महसूस हुई, लेकिन हार नहीं मानी.

आगे का गोल निमोरा से लबासना जाने का है

सबसे ज्यादा शुरुआत में गाइडेंस मां-पापा ने किया. उसके बाद टीचर मुरली सर ने मदद की. जब शुरुआत की तो पता ही नहीं था कि, नदी कैसे पार करना है. टीचर ने बताया कि, नदी पार कैसे करना है.

टीचर मुरली देवांगन ने दिया टिप्स

कितना पढ़ते हो यह महत्वपूर्ण नहीं है, कितनी चीज याद रखते हैं कितनी चीज लिख पा रहे हैं वह महत्वपूर्ण है. एक बार पढ़ो रिवीजन 10 बार करो. एक पुस्तक को 10 बार पढ़ने वाले स्टूडेंट्स मैनें नहीं देखे. कोचिंग संचालक होने के बावजूद मैं कहूंगा कोचिंग का योगदान 10% होता है. 90% स्टूडेंट्स का योगदान होता है. क्या पढ़ना है, क्या छोड़ना है इसका भी योगदान होता है. पढ़ने के लिए तमाम दुनिया है तमाम ज्ञान को लेकर आप विशेषज्ञ बन सकते हैं अधिकारी नहीं.

शिक्षक का काम है बच्चों को सही मार्गदर्शन देना. जो बच्चे सफल नहीं हुए उनके लिए कहा, क्षति वो होती है, जिसकी पूर्ति नहीं की जा सकती. असफलता की पूर्ति की जा सकती है. पहले अटेम्प्ट में अगर एग्जाम नहीं निकला तो डिमोटिवेट हो जाते हैं.

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