भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इस वर्ष की अत्यंत महत्वपूर्ण दिवाली बैठक 30 अक्टूबर से जबलपुर में आयोजित होने जा रही है। तीन दिन चलने वाली इस अखिल भारतीय बैठक में संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले समेत करीब 200 शीर्ष पदाधिकारी शामिल होंगे। इस बैठक में संघ के शताब्दी समारोह की तैयारियों की समीक्षा के साथ-साथ देश के मौजूदा राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्यों पर फीडबैक लेने का भी दौर चलेगा। डॉ. भागवत इस अवसर पर पांच दिनों तक जबलपुर प्रवास पर रहेंगे। विश्व के सबसे बड़े सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने विजयदशमी को अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे करने की ओर अग्रसर है। 2026 के विजयादशमी तक चलने वाले शताब्दी वर्ष की तैयारियां पूरे देश में जोर-शोर से चल रही हैं, और इसी पृष्ठभूमि में 30 अक्टूबर से 1 नवंबर 2025 के बीच जबलपुर में होने वाली संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

46 प्रांतों के शीर्ष पदाधिकारी रहेंगे मौजूद

तीन दिवसीय इस बैठक में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले और देशभर के 46 प्रांतों के शीर्ष पदाधिकारी, संघचालक, कार्यवाह, प्रचारक, सह-प्रांत प्रमुख आदि उपस्थित रहेंगे। यह केवल एक संगठनात्मक बैठक नहीं, बल्कि संघ के आगामी शताब्दी दशक की दिशा तय करने वाली नीति-सभा होगी। संघ ने परंपरानुसार हर शताब्दी लक्ष्य के पहले चरण में संगठन के विस्तार, कार्य की गुणवत्ता, और समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सहभागिता को प्राथमिकता दी है।

जबलपुर की यह बैठक उन सभी लक्ष्यों की समीक्षा करेगी, जो संघ ने 2021 में तय किए थे और जिनकी परिणति अब शताब्दी वर्ष के अवसर पर होने जा रही है। संघ के शताब्दी वर्ष का मूल उद्देश्य मात्र उत्सव नहीं, बल्कि “सशक्त समाज निर्माण के शताब्दी संकल्प” की पूर्ति है। इसके तहत देशभर में संघ ने कुछ प्रमुख कार्यक्षेत्र निर्धारित किए हैं…

  1. प्रत्येक नगर, गांव और प्रखंड तक शाखा विस्तार:

वर्तमान में देश में लगभग 85,000 दैनिक शाखाएं संचालित हो रही हैं। लक्ष्य है कि 2026 तक यह संख्या 1 लाख से अधिक पहुंचे। यह विस्तार केवल संख्यात्मक नहीं होगा, बल्कि प्रत्येक शाखा को स्थानीय समाज-संवाद, सेवा कार्य और राष्ट्र चिंतन का केंद्र बनाया जाएगा।

  1. युवा वर्ग में संघ का नवजागरण:

संघ अब विद्यालयों, विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों में विद्यार्थी शाखा, अध्ययन मंडल और सेवा प्रकल्पों के माध्यम से युवाओं को जोड़ने पर विशेष ध्यान दे रहा है। उद्देश्य है कि नई पीढ़ी केवल संघ का दर्शक न बने, बल्कि उसके विचार को जीवन में उतारे।

  1. समाज में समरसता और सामाजिक समावेश

डॉ. मोहन भागवत के हालिया विजयादशमी उद्बोधन में उन्होंने जाति-भेद मिटाने और समान अवसरों पर आधारित समाज निर्माण को संघ की प्राथमिक दिशा बताया था। जबलपुर बैठक में इस पर ठोस रूपरेखा तैयार की जाएगी-विशेषकर समरस ग्राम योजना और संवेदनशील समाज अभियान के माध्यम से।

  1. पर्यावरण, परिवार और संस्कृति की रक्षा:

संघ अब केवल राष्ट्र और समाज की नहीं, बल्कि संस्कृति, पर्यावरण और परिवार मूल्यों की रक्षा को भी अपनी सामाजिक जिम्मेदारी मानता है। “परिवार प्रबोधन”, “गौ-सेवा”, “संस्कृति रक्षा” और “वनवासी सेवा” जैसे प्रकल्पों को शताब्दी वर्ष में व्यापक स्वरूप दिया जाएगा। इस बैठक में प्रत्येक प्रांत अपने-अपने क्षेत्र में चल रहे कार्यक्रमों का प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगा-कितनी नई शाखाएं स्थापित हुईं, कौन-से सामाजिक प्रकल्प सक्रिय हुए, और संघ की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने में क्या प्रगति हुई।

इन मुद्दों पर भी होगी चर्चा

साल 2025-26 की वार्षिक योजना की भी समीक्षा होगी, जिसमें प्रमुख ध्यान संघ कार्य के विस्तार और गुणवत्ता संवर्धन पर रहेगा।बैठक में सरसंघचालक के विजयादशमी उद्बोधन के बिंदुओं,जैसे सामाजिक सौहार्द, आत्मनिर्भरता, राष्ट्रीय सुरक्षा और सांस्कृतिक स्वाभिमान पर विस्तृत चर्चा होगी। इसके आधार पर प्रत्येक प्रांत को अपने-अपने क्षेत्रीय कार्यक्रम तय करने के निर्देश दिए जाएंगे। संघ ने जबलपुर को बैठक स्थल के रूप में चुना है,यह केवल भौगोलिक नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और संगठनात्मक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण निर्णय है।

जानें महाकौशल में क्यों हो रही बैठक ?

महाकौशल का यह क्षेत्र संघ के प्रारंभिक विस्तार का केंद्र रहा है; यहां से अनेक वरिष्ठ प्रचारक और प्रांत कार्यवाह निकले हैं। मध्य प्रदेश में संघ की शाखाएं गांव-गांव तक फैली हैं और यह राज्य संघ-प्रेरित संगठनों, सेवा भारती, वनवासी कल्याण आश्रम, विद्यार्थी परिषद और विहिप की सक्रिय भूमि रहा है। इसलिए जबलपुर का चयन इस संदेश के साथ किया गया है कि संघ का विस्तार अब देश के कोने-कोने में अपने सामाजिक मूल्यों की जड़ें और गहरी करेगा। संघ के शताब्दी कार्यक्रम केवल शाखाओं या बैठकों तक सीमित नहीं हैं। देशभर में सेवा प्रकल्प, सांस्कृतिक यात्राएं, विचार गोष्ठियां, बाल-युवा शिविर, महिला सशक्तिकरण अभियान और ‘स्वदेशी जीवनशैली’ पर केंद्रित कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

ये संगठन भी आयोजित करेंगे कार्यक्रम

इस अवसर पर संघ से प्रेरित संगठनों जैसे भारतीय मजदूर संघ, भारतीय किसान संघ, विद्याभारती, वनवासी कल्याण आश्रम और संस्कार भारती भी अपने-अपने क्षेत्र में शताब्दी वर्ष के विशेष कार्यक्रम आयोजित करेंगे। मुख्य उद्देश्य यह रहेगा कि “संगठन का विस्तार समाज के हृदय तक पहुंचे।” हर शाखा, हर कार्यकर्ता और हर प्रकल्प का लक्ष्य होगा,“व्यक्तिगत साधना से सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक कदम।”

भारत के पुनर्जागरण का अवसर

जबलपुर बैठक संघ की उस परंपरा को आगे बढ़ाएगी, जिसमें संगठन अपने कार्यों का आत्ममंथन करता है और भविष्य की रणनीति समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप तय करता है। डॉ. मोहन भागवत के शब्दों में… “संघ का शताब्दी वर्ष केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि भारत के पुनर्जागरण का अवसर है।” इस दृष्टि से जबलपुर बैठक न केवल संगठनात्मक योजनाओं का केंद्र बनेगी, बल्कि यह राष्ट्र की सामाजिक ऊर्जा को दिशा देने वाली ऐतिहासिक बैठक सिद्ध हो सकती है। कुल मिलाकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब अपनी शताब्दी के मुहाने पर है, एक ऐसे क्षण पर जब संगठनात्मक शक्ति, वैचारिक स्पष्टता और सामाजिक प्रतिबद्धता का अद्भुत समन्वय दिखाई दे रहा है।

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