रायपुर। श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (SRIMSR) की मान्यता के लिए रिश्वतखोरी के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। सीबीआई द्वारा दाखिल चार्जशीट में 53 लाख रुपए के लेन-देन के साथ जांच दल के गठन से पहले ही सदस्यों के फ्लाइट टिकट बनाने का भी जिक्र है।

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सीबीआई ने रिश्वतकांड में श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च से जुड़े रविशंकर महाराज, संजय शुक्ला, डॉ.अतिन कुंडू के अलावा मेयूर रावल समेत 10 अन्य लोगों का मोबाइल सर्विलांस में लिया था। इसमें सामने आई जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) में यूजी-पीजी बोर्ड के गठन से पहले ही सभी सदस्यों के फ्लाइट टिकट बनाये गए थे।

जानिए कैसे हुआ पूरा खेल

  • सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार, कॉलेज के डायरेक्टर अतुल कुमार तिवारी ने मेडिकल कॉलेज को मान्यता दिलाने के लिए डीपी सिंह से संपर्क किया।
  • डीपी सिंह ने भरोसा दिलाया कि वह मूल्यांकनकर्ताओं तक पहुँच सुनिश्चित कर देंगे।
  • जांच में पता चला कि मूल्यांकनकर्ताओं में एक तेलंगाना और तीन कर्नाटक से थे।
  • बातचीत में मयूर रावल उर्फ ‘बाबू’ को 30 लाख रुपये ट्रांसफर करने की योजना भी सामने आई।

डॉ. मंजप्पा ने रखी ये शर्तें

  • कॉल इंटरसेप्ट के मुताबिक, अतुल तिवारी ने रविशंकर महाराज को बताया कि चार मूल्यांकनकर्ताओं में से डॉ. मंजप्पा सीएन रकम लेने को तैयार नहीं हैं।
  • कॉलेज प्रबंधन ने आश्वस्त किया कि डॉ. मंजप्पा का भी प्रबंध कर लिया जाएगा।

हवाला चैनल के जरिए 55 लाख की रकम की गई ट्रांसफर

  • इंटरसेप्टेड कॉल में अतुल ने सतीशा ए. को बताया कि वे “50 किलो” (50 लाख रुपये) भेजेंगे।
  • सतीशा ने व्हाट्सएप पर 10 रुपये का नोट (08N072350) साझा किया, जो हवाला ट्रांजेक्शन के लिए पहचान चिन्ह बना।
  • यह नोट आगे रावतपुरा सरकार लोक कल्याण ट्रस्ट के प्रभारी रवि प्रकाश गुप्ता तक पहुँचाया गया।
  • रकम भेजने की जिम्मेदारी मनोज कुमार अग्रवाल (पूर्व ट्रस्टी) ने संभाली।
  • उनके सहयोगी रोशन ने भोपाल में जतिन पटेल से संपर्क किया, जिन्होंने 10 रुपये का नोट हवाला ऑपरेटर जतिन प्रजापति को दिया।
  • प्रजापति ने रकम को बेंगलुरु तक पहुँचाया और अंततः डॉ. मंजप्पा सीएन और डॉ. चैत्रा एमएस तक रकम पहुँची।

गौरतलब है कि सीबीआई ने पूरे हवाला लेन-देन पर कड़ी निगरानी रखी और कॉल, व्हाट्सएप चैट व नोट के साक्ष्यों के आधार पर चैनल का भंडाफोड़ किया। मामला संगठित रिश्वत का है, जिसमें कॉलेज प्रबंधन, मूल्यांकनकर्ता, ट्रस्ट और हवाला ऑपरेटर शामिल हैं। अब चालान पर कोर्ट में सुनवाई होगी।

कॉलेज को “जीरो ईयर” किया गया घोषित

सीबीआई की जांच के बाद इस वर्ष दाखिला बंद कर दिया गया है. कॉलेज को इस वर्ष “जीरो ईयर” घोषित किया गया है, और अब इसमें नए छात्रों का दाखिला नहीं हो सकेगा। इस मामले में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के सदस्यों सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है।