भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट (RBI वार्षिक रिपोर्ट 2024-25) जारी कर दी है, जिसमें देश की आर्थिक स्थिति, मौद्रिक नीति रुख और वित्तीय जोखिमों का खुलासा किया गया है. रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया है – जिसमें रिकॉर्ड सोने की खरीद, नोटों की छपाई की बढ़ती लागत और तेज आर्थिक विकास शामिल है.

- सोने का भंडार 879.58 टन, 2024 में 72.6 टन की खरीद – साल 2024 में RBI ने 72.6 टन सोना खरीदा, जबकि 2025 के पहले दो महीनों में 2.8 टन सोना जोड़ा गया. इस तरह भारत का कुल स्वर्ण भंडार अब बढ़कर 879.58 टन हो गया है. इससे भारत दुनिया का सातवां सबसे बड़ा स्वर्ण भंडार धारक बन गया है. इस सूची में अमेरिका, जर्मनी, इटली, फ्रांस, चीन और स्विट्जरलैंड पहले से ही आगे हैं.
- नोटों की छपाई की लागत 25% बढ़कर ₹6,373 करोड़ पर पहुंची – 2024-25 के दौरान नोटों की छपाई के खर्च में भारी वृद्धि हुई है. नोटों की छपाई पर ₹6,372.8 करोड़ खर्च हुए, जो पिछले साल ₹5,101.4 करोड़ थे. यह वृद्धि संभवतः कागज, स्याही और सुरक्षा सुविधाओं की लागत में वृद्धि के कारण हुई है.
- 2025-26 में जीडीपी वृद्धि 6.5% रहने की उम्मीद – रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देश की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 2025-26 में 6.5% के आसपास रहने की संभावना है. इससे पहले यह दर 2023-24 में 7.6% थी, जो 2022-23 के 7.0% से भी बेहतर है. इससे भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा.
- महंगाई नियंत्रण में, औसत दर 4% रहने की संभावना खुदरा महंगाई की बात करें तो इसके 4% के आसपास रहने की उम्मीद है, जो आरबीआई की निर्धारित सीमा (4% ± 2%) के भीतर है. हालांकि, वैश्विक बाजार में कच्चे तेल और खाद्य पदार्थों की कीमतों में उतार-चढ़ाव और मौसम की अनिश्चितताओं से महंगाई पर असर पड़ सकता है.
- धोखाधड़ी की संख्या घटी, लेकिन रकम तीन गुना बढ़ी – 2024-25 में बैंक धोखाधड़ी की संख्या में कमी आई है – 23,953 मामले दर्ज किए गए, जो पिछले साल के 36,060 मामलों से कम है. लेकिन चिंता की बात यह है कि धोखाधड़ी में शामिल रकम ₹12,230 करोड़ से बढ़कर ₹36,014 करोड़ हो गई है, यानी करीब तीन गुना.
- घरेलू बचत और ऋण दोनों में वृद्धि – रिपोर्ट में यह भी दर्ज किया गया है कि घरेलू वित्तीय बचत में भी वृद्धि हुई है. 2023-24 में बचत जीएनडीआई (सकल राष्ट्रीय प्रयोज्य आय) का 11.2% रही, जो पिछले साल 10.7% थी. हालांकि, घरेलू ऋण भी 2022-23 में 5.8% से बढ़कर 6.1% हो गया है.
- RBI की बैलेंस शीट में 8.2% की वृद्धि- RBI की समग्र बैलेंस शीट में 8.2% की वृद्धि दर्ज की गई है. कुल बैलेंस शीट ₹ 76.25 लाख करोड़ तक पहुँच गई है. आय 22.7% बढ़कर ₹ 3.38 लाख करोड़ हो गई. व्यय बढ़कर ₹ 69,714 करोड़ हो गया, और ₹ 2.68 लाख करोड़ का अधिशेष सरकार को हस्तांतरित किया गया.
- सरकारी ऋण को लेकर चिंता जताई गई – रिपोर्ट के अनुसार, भारत का सार्वजनिक ऋण वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद के 81% तक पहुँच गया है. इसका अर्थ यह है कि देश का ऋण बोझ उसकी आय से कहीं अधिक है – जो आरबीआई के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है.
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