RBI Annual Review Meeting: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की सालाना समीक्षा बैठक 23 मई 2025 को होने जा रही है. इस महत्वपूर्ण बैठक में RBI अपनी बैलेंस शीट का विश्लेषण करेगा और वित्त वर्ष 2024–25 के अधिशेष (सरप्लस) को केंद्र सरकार को ट्रांसफर करने का निर्णय ले सकता है. सूत्रों के अनुसार, यह डिविडेंड 3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है — जो बीते वर्ष के मुकाबले करीब 50% अधिक होगा.

IDFC फर्स्ट बैंक की प्रमुख अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता का मानना है कि RBI इस बार सरकार को 2.6 लाख करोड़ से लेकर 3 लाख करोड़ रुपये के बीच डिविडेंड दे सकता है. हालांकि, अंतिम राशि इस पर निर्भर करेगी कि RBI ने कितना प्रावधान (provision) अपने पास रखा है.
ECF की समीक्षा से पहले बना है माहौल
इससे पहले, 15 मई को केंद्रीय बैंक ने इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क (ECF) की समीक्षा की थी, जिसे 2019 में लागू किया गया था. इसी फ्रेमवर्क के तहत यह तय होता है कि RBI अपने लाभ का कितना हिस्सा सरकार को डिविडेंड के रूप में दे सकता है और कितना हिस्सा जोखिमों से निपटने के लिए आरक्षित रखा जाएगा.
जोखिम का आकलन तय करेगा डिविडेंड की सीमा
RBI की आंतरिक समिति ने सुझाव दिया है कि (CRB) यानी आकस्मिक जोखिम निधि (Contingency Risk Fund) को कुल बैलेंस शीट (total balance sheet) का 5.5 परसेंट से 6.5 परसेंट के बीच रखा जाना चाहिए.
यह आरक्षित राशि देश की आर्थिक अनिश्चितताओं के स्तर को देखते हुए तय होती है. यदि बाहरी आर्थिक परिस्थितियां अस्थिर रहती हैं, तो RBI अधिक धनराशि रिजर्व में रख सकता है, जिससे सरकार को मिलने वाला डिविडेंड घट सकता है.
बाजार ने 2.5 लाख करोड़ की उम्मीद लगाई
CSB बैंक के ग्रुप ट्रेज़री हेड आलोक सिंह के अनुसार, वित्तीय बाजार पहले से ही यह मानकर चल रहा है कि RBI सरकार को करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये का डिविडेंड दे सकता है. यदि अनुमान से अधिक रकम सरकार को मिलती है, तो बॉन्ड बाजार पर उसका असर दिख सकता है और बॉन्ड यील्ड्स में उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है.
जोखिम प्रावधान 40 से 80 हजार करोड़ के बीच रह सकता है
IDFC फर्स्ट बैंक का कहना है कि इस वर्ष RBI का जोखिम से निपटने के लिए किया गया प्रावधान पिछले वर्ष के बराबर या उससे थोड़ा ज्यादा रह सकता है. FY24 में यह प्रावधान 42,800 करोड़ रुपये था, जबकि इस बार इसे 40,000 से 80,000 करोड़ रुपये के दायरे में रहने का अनुमान जताया गया है.
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