मुंबई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 में अपनी पहली मौद्रिक नीति का ऐलान करते हुए आम लोगों को राहत प्रदान की है. आरबीआई ने रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर बरकरार रखा है. मई 2022 के बाद से आरबीआई ने छह बार दरों में बढ़ोतरी की है. यह फरवरी 2019 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है. इसे भी पढ़ें : भाषण के दौरान मंच पर रो पड़े मंत्री डहरिया, देखिए वीडियो…

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति का ऐलान करते कहा कि अर्थव्‍यवस्‍था और महंगाई को घरेलू और वैश्विक स्तर पर कई चुनौतियां मिल रही हैं, जैसे कि बैंकिंग संकट, प्राइसिंग प्रेशन, भू-राजनीतिक तनाव. हालांकि इसके बावजूद एमपीसी बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया गया है.

मई 2022 से छह बार बढ़ चुका

कोरोना काल के दौरान रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में किसी प्रकार की कोई बदलाव नहीं किया था. लंबे अंतराल के बाद मई 2022 में ब्याज दरों में 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी की, जिसके साथ रेपो रेट 4 फीसदी से 4.40 फीसदी पर पहुंच गया. मई 2022 से रेपो रेट में बढ़ोतरी का सिलसिला लगातार जारी है. मई से अब तक दरें छह बार में बढ़कर अब 6.50 फीसदी पर पहुंच गई है, जिसे इस बार की बैठक में बरकरार रखा गया है.

महंगाई के अनुमान में भी कटौती

आरबीआई ने महंगाई के अनुमान में भी कटौती की है. वित्त वर्ष 2023-24 में महंगाई 5.2 फीसदी की दर से बढ़ सकती है, जबकि पहले यह अनुमान 5.3 फीसदी पर था. हालांकि, इस तिमाही अप्रैल-जून 2023 में कंज्यूमर प्राइस इनफ्लेशन का अनुमान 5.0 फीसदी से बढ़ाकर 5.1 फीसदी कर दिया गया है. जुलाई-सितंबर 2023 का सीपीआई इनफ्लेशन अनुमान 5.4 फीसदी, अक्टूबर-दिसंबर 2023 में 5.4 फीसदी पर बरकरार रखा गया है. वहीं चालू वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में सीपीआई इनफ्लेशन का अनुमान 5.6 फीसदी से घटाकर 5.2 फीसदी कर दिया गया है.

जीडीपी में बढ़ोतरी का अनुमान

आरबीआई ने अप्रैल-जून 2023 में जीडीपी की 7.8 फीसदी, जुलाई-सितंबर 2023 में 6.2 फीसदी की ग्रोथ का अनुमान कायम रखा है. आरबीआई के मुताबिक, अक्टूबर-दिसंबर 2023 में जीडीपी अब 6.0 फीसदी की बजाय 6.1 फीसदी और जनवरी-मार्च 2024 में 5.8 फीसदी की बजाय 5.9 फीसदी की दर से बढ़ सकती है.

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