दिल्ली. रिजर्व बैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में जानकारी दी कि 2016 में नोटबंदी लागू होने के बाद बंद किए गए 500 और 1000 के नोटों में करीब 99.30 प्रतिशत नोट वापस बैंक में आ गए हैं. अब इस रिपोर्ट के बाद विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हो गए हैं. रिजर्व बैंक की इस पोल खोलती रिपोर्ट में नोटबंदी के दावों की हवा उड़ा दी गई है.

बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक 500 और 1000 के बाजार में 15.41 लाख करोड़ के नोट चलन में थे. इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आ गए हैं. रिजर्व बैंक ने फिलहाल सभी पुराने नोटों को नष्ट कर दिया है लेकिन बैंक को इस दौरान बेहद परेशानी का सामना करना पड़ा. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक कुल 15,310 अरब की कीमत के नोट बैंकों के पास वापस आए.

नए नोटों की छपाई में खर्च किए करीब 8 हजार करोड़ रुपये 

वहीं, नोटबंदी के बाद 2016-17 में रिजर्व बैंक ने 500 औऱ 2000 रुपये के नए नोट व अन्य नोटों की छपाई पर 7,965 करोड़ रुपये खर्च किए जोकि इसके पिछले साल छपाई पर खर्च 3,421 करोड़ रुपये की राशि के दोगुने से भी अधिक है. वहीं पिछले एक साल में बैंक ने नोटों की छपाई में 4,912 करोड़ रुपये खर्च किए.

नकली नोटों के कारोबारी धड़ल्ले से छाप रहे हैं 50 और 100 के नोट, रहिए चौकन्ना

बैंक ने अपनी रिपोर्ट में एक ऐसे तथ्य का खुलासा किया है जो हमारे लिए चौकन्ना रहने की चेतावनी देता है. बैंक ने बताया कि पिछले साल की तुलना में 100 रुपये के जाली नोट 35 फीसदी ज्यादा पकड़े गए वहीं 50 रुपये के जाली नोटों की संख्या में 155 फीसदी का इजाफा हुआ. इससे साफ है कि नकली नोट बनाने के कारोबारी अपना ध्यान छोटे नोटों पर रख रहे हैं. खासकर उनके निशाने पर 50 औऱ 100 रुपये के नोट हैं. तो, अगली बार आप जब भी 50 या 100 का नोट लें उसे गौर से जरूर देखें.

बड़े नोटों की जालसाजी करने से बच रहे हैं नकली नोट के कारोबारी

वहीं जालसाज 500 औऱ 2000 के नकली नोट बनाने से भी बाज नहीं आ रहे हैं. 2017-18 में 500 के 9,892 नकली नोट व 2000 के 17,929 नकली नोट बैंक ने बरामद किए. इससे साफ है कि नए नोटों का नकली कारोबार भी शुरु हो चुका है. खास बात ये है कि नकली नोटों के कारोबारियों के निशाने पर छोटे नोट हैं. जो नया ट्रेंड है.

आज भी पड़ोसी देशों के पास हैं 1000 करोड़ की कीमत के पुराने नोट

जहां प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी की घोषणा कर लोगों को चौंका दिया हो लेकिन हमारे पड़ोसी देश आज भी नोटबंदी के फैसले से परेशानी झेल रहे हैं. अकेले नेपाल के पास पुरानी भारतीय करेंसी के करीब 950 करोड़ रुपये मौजूद हैं. इसके लिए नेपाल के नेता भारत के कई चक्कर लगा चुके हैं लेकिन उनकी समस्या का कोई हल आजतक नहीं हो सका है. वैसे रिजर्व बैंक ने ये आदेश दिया था कि एक नेपाली व्यक्ति 4500 रुपये तक के पुराने नोट बदल सकता है लेकिन इससे नेपाल की मार्केट में पड़े 950 करोड़ रुपयों की खेप पर ज्यादा असर नहीं पड़ने वाला है. मोदी सरकार के इस कदम से नेपाल औऱ भूटान की अर्थव्यवस्था पर खासा असर पड़ा है क्योंकि वहां धड़ल्ले से भारतीय करेंसी चलती है और पुराने नोट बड़ी संख्या में इन देशों के पास मौजूद हैं.

सरकार ने नोटबंदी का फैसला ले तो लिया लेकिन इन पड़ोसी देशों के पास मौजूद पुरानी करेंसी को कैसे नयी में बदलेगी, उसका क्या मैकेनिज्म होगा. इसका सरकार के पास कोई प्लान नहीं है. जिसके चलते पड़ोसी देश खासे परेशान हैं. कुल मिलाकर रिजर्व बैंक की इस रिपोर्ट के बाद विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर हो गया है. वहीं भाजपा अपने प्रधानमंत्री के बचाव में लग गई है.