शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिरने का जिन्न पांच साल बाद फिर बाहर आया। इसे लेकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच बयानबाजी हुई। जिससे सियासी भूचाल मच गया। दोनों दिग्गजों के बयान पर भारतीय जनता पार्टी भी लगातार हमलावर है। इस मामले में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी का बड़ा बयान सामने आया हैं। उन्होंने कहा कि दोनों की केमिस्ट्री समझना बहुत मुश्किल है। सिंधिया को सरकार गिराने की सजा मिलनी चाहिए। वहीं सरकार गिरने के खुलासे पर पूर्व गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा की प्रतिक्रिया भी सामने आई है।
सिंधिया को मिलनी चाहिए सजा
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने कहा कि दिग्विजय सिंह और कमलनाथ बड़े छोटे भाई हैं, दोनों की केमिस्ट्री है। दोनों का 45 साल का रिश्ता है, उनकी केमिस्ट्री समझना बहुत मुश्किल है। पुरानी बातों का कोई औचित्य नहीं है। हमें पीछे की बात नहीं करनी है। मुझे आने वाले भविष्य की ओर देखना है। वहीं पटवारी ने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को सरकार गिराने की सजा मिलनी चाहिए।
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कांग्रेस को बुढ़ापे में बच्चा रूपी सरकार हुई थी…
पूर्व गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा की भी प्रतिक्रिया सामने आई। उन्होंने शायराना अंदाज में तंज कसा है। मिश्रा ने कहा कि तरन्नुम कानपुरी की एक शायरी है… ‘ऐ क़ाफ़िले वालों, तुम इतना भी नहीं समझे थे। लूटा है तुम्हे रहज़न ने, रहबर के इशारे पर।।’ उन्होंने आगे कहा कि काफिला क्यों लुटा था ? कौन दोषी है अब यह सामने आ गया है। कांग्रेस को बुढ़ापे में बच्चा रूपी सरकार हुई थी। इन्होंने उसे चूम चूम कर ही मार डाला। हम तो पहले से कहते थे कि कमलनाथ नहीं दिग्विजय सिंह सरकार चला रहे थे। यही कारण था सरकार गिरने का।
जो नाव डूबी उसमें कप्तान ने ही छेद किया
नरोत्त मिश्रा ने कहा कि यह बात कमलनाथ के मंत्री उमंग सिंगार ने भी उस वक्त कही लेकिन कमलनाथ की आंखों पर दिग्विजय ने पट्टी बांध रखी थी और आज कमलनाथ को सच्चाई याद आ रही है। कमलनाथ जब आप सच की राह पर चल ही दिए है तो लगे हाथ यह भी बता दे कि डेढ़ साल की सरकार में सुपर सीएम दिग्विजय सिंह ने आपसे भ्रष्टाचारी फैसले करवाए, नही तो जनता यह मान लेगी की आप दोनों एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ कर सबको गुमराह कर रहे है। असलियत यही है कि आप दोनों के सच ने बता दिया है कि कांग्रेस की नाव जो डूबी उसे कप्तान ने ही छेद कर डुबाया था।
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पूर्व सीएम के छोटे भाई लक्ष्मण की भी एंट्री
दिग्विजय सिंह के छोटे भाई व कांग्रेस के पूर्व विधायक लक्ष्मण सिंह ने कहा कि भले ही में पार्टी से बाहर, लेकिन दिल में आज भी हूं। गाना गाते हुए उन्होंने कहा कि छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी, अब नई कहानी का समय है। एमपी के कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि दोनों पूर्व सीएम की खींचतान का कोई औचित्य नहीं बचता है। लेकिन ये खुद मान रहे है कि कहीं न कहीं इनसे चूक हुई। आज जनता के सामने इनकी त्रुटि आ गई। उस समय ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेस सरकार बनाने में बड़ा योगदान था। सिंधिया उस समय भी सही थे और आज भी सही है।
दिग्गी के खुलासे से आया भूचाल
दरअसल, हाल ही में दिग्विजय सिंह एक निजी चैनल के पॉडकास्ट में कहा कि ‘हमें जिन पर पूरा भरोसा था, उन्हीं ने धोखा दिया। यह विचारधारा (आइडियोलॉजिकल) का क्लैश नहीं बल्कि व्यक्तित्वों का टकराव (क्लैश ऑफ पर्सनालिटी) था। दिग्विजय ने यह भी बताया कि इसके बाद उन्होंने अपने घर पर डिनर का आयोजन किया था। यहां भी कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हुए थे। इस बैठक में सभी समस्याओं को लेकर सूची तैयार हुई थी। जिसमें मैंने भी साइन किए थे, लेकिन लिस्ट का पालन नहीं किया गया। पूर्व सीएम ने माना कि अगर कमलनाथ ग्वालियर-चंबल संभाग से जुड़ी मांगों को मान लेते, तो शायद सरकार गिरने की नौबत ही नहीं आती।’
कमलनाथ ने किया पलटवार
दिग्विजय के बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पलटवार किया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स (X) पर पोस्ट कर लिखा- ‘मध्य प्रदेश में 2020 में मेरे नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिरने को लेकर हाल ही में कुछ बयानबाजी की गई है। मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि पुरानी बातें उखाड़ने से कोई फायदा नहीं। लेकिन यह सच है कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया को यह लगता था कि सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं। इसी नाराजगी में उन्होंने कांग्रेस के विधायकों को तोड़ा और हमारी सरकार गिरायी।’
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15 साल का इंतजार और फिर 15 महीने में चली गई सरकार
दिग्विजय के खुलासे और कमलनाथ के पलटवार के बाद एमपी कांग्रेस घिरती हुई नजर आ रही है। वहीं भारतीय जनता पार्टी भी अब इस पर लगातार हमला बोल रही हैं। एमपी के दो दिग्गज नेताओं की इस बयानबाजी से प्रदेश की सियासत का पारा हाई हो गया है। गौरतलब है कि एमपी में कांग्रेस ने 15 साल के लंबे इंतजार के बाद सत्ता में वापसी की थी। साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी और बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और निर्दलीय के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। लेकिन 15 महीने बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक विधायकों के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और कमलनाथ की सरकार गिर गई।
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