बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाते हुए गाइडलाइंस की ‘लक्ष्मण रेखा’ खींच दी है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 15 निर्देश भी दिए हैं. अब इसे लेकर सियासत शुरु हो गई है. नेताओं के बयान सामने आने लग गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि ‘सुप्रीम कोर्ट के बुलडोजर विध्वंसों से जुड़े आज के फैसले व तत्सम्बंधी कड़े दिशा-निर्देशों के बाद यह उम्मीद की जानी चाहिए कि यूपी व अन्य राज्य सरकारें जनहित व जनकल्याण का सही व सुचारू रूप से प्रबंधन करेंगी और बुलडोजर का छाया आतंक अब जरूर समाप्त होगा.’
कार्यपालिका न्यायाधीश नहीं बन सकती- रलोद
वहीं इस मामले में रलोद की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. रलोद नेता रोहित अग्रवाल ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘माननीय जयंत चौधरी जी हमेशा से कहते रहे हैं कि न्यायपालिका से ही देश चलेगा, किसी भी दशा में बिना प्रक्रिया के कोई भी सजा देना आसंवैधानिक है. देश नागरिकों का ही है और सरकार नागरिकों का प्रतिनिधित्व करने का काम करती है. आज सुप्रीम कोर्ट ने भी यही आदेश दिया कि कार्यपालिका न्यायाधीश नहीं बन सकती, बिना प्रक्रिया आरोपी का घर तोड़ना असंवैधानिक, यहां तक दोषी पाए जाने पर भी सजा के तौर पर उनकी संपत्ति को नष्ट नहीं किया जा सकता. सुनवाई से पहले आरोपी को दंडित नहीं किया जा सकता, अधिकारियों द्वारा पद का दुरुपयोग करने पर उन्हें दंडित किया जाएगा, घर तोड़ने पर संतुष्ट करना होगा कि यही एक मात्र न्याय का मार्ग है’.
जिसके घर तोड़े गए वो उनके मालिक नहीं- राजभर
वहीं इसे लेकर योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर का कहना है कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. सरकार ने निजी संपत्ति पर बुलडोजर नहीं चलाया है. बुलडोजर हमेशा सरकारी संपत्तियों पर चलाया गया है. अगर अवैध कब्जा किया है तो उस पर चलाया गया है. जो घर तोड़े गए हैं वो उनकी खुद की सम्पत्ति नहीं थी. विपक्ष सिर्फ चिल्लाने का प्रयास कर रहा है. विपक्ष ने सरकारी संपत्ति पर कब्जा कर रखा है. इधर भाजपा प्रवक्ता हीरो बाजपेयी ने भी बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि ‘सुप्रीम कोर्ट ने कार्यपालिका को निर्देशित किया है’. ‘नियमों का पालन करना चाहिए’ नियमों के तहत कार्रवाई करनी चाहिए’.
कोर्ट ने दिया ये फैसला
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ये आदेश किसी एक राज्य के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए है. कोर्ट ने कहा है कि किसी का घर सिर्फ इस आधार पर नहीं तोड़ा जा सकता कि वह किसी आपराधिक मामले में दोषी या आरोपी है. हम सरकारी शक्तियों के दुरुपयोग को मंजूरी नहीं दे सकते. ऐसा हुआ तो देश में अराजकता आ जाएगी. कोर्ट ने कहा कि अफसर जज नहीं बन सकते. वे तय न करें कि दोषी कौन है.
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