Honey badger: जंगल के राजा शेर के बारे में तो हम सभी बचपन से सुनते आ रहे हैं। लेकिन क्या आपने कभी ‘जंगल का गुंडा’ के बारे में सुना है? आपमें से अधिकतर का जवाब ना में होगा। तो आज हम आपको जंगल के गुंडा हनी बेजर (Honey badger) के बारे में बता रहे हैं। इस नन्हे सा जानवर के सामने शेर-बाघ भी पानी भरते हैं। हाथी तक पर हमला करने वाले शेर-बाघ भी हनी बेजर पर हमला करने से डरते हैं। किंग कोबरा का तो पल भर में काम तमाम कर देता है। क्या सांप, क्या भेड़िया, क्या लकड़बग्घा और क्या शेर… सब उसके सामने पस्त नजर आते है। इसी कारण इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness World Records) में भी सबसे बेखौफ जानवर का खिताब दिया गया है।

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हनी बैजर को बिज्जू या रैटल के नाम से भी जाना जाता है। स्कंक, ऊदबिलाव, फेरेट और अन्य बेजर से संबंधित हैं। ये 9-11 इंच लंबा और 5-30 किलो वजनी होता है। इसे हनी बेजर नाम इसलिए मिला क्योंकि लगता है कि यह इसका पसंदीदा भोजन शहद है। फिर भी वे वास्तव में शहद में पाए जाने वाले मधुमक्खी के लार्वा को खाना पसंद है।

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इस छोटे से मजबूत जीव का शरीर मोटा, चपटा होता है, जिसके छोटे, मजबूत पैर होते हैं, साथ ही खुदाई और बचाव के लिए आगे के पैरों पर लंबे पंजे होते हैं। हनी बेजर के बाल मोटे और खुरदरे होते हैं, जो ज्यादातर काले होते हैं, और एक चौड़ी ग्रे-सफ़ेद पट्टी होती है जो सिर के ऊपर से लेकर पूंछ की नोक तक उसकी पीठ पर फैली होती है। 

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हनी बैजर को कोई भी दीवार कैद नहीं कर सकती

लड़ने-भिड़ने के साथ ये काफी तेज दिमाग वाला जानवर भी है। एक चिड़ियाघर के वीडियो में इनकी ये चतुराई साफ देखी जा सकती है। इसमें ये बाकायदा कुंडी-वुंडी खोलकर, सारे बंधन तोड़कर भागते देखे जा सकते हैं। इसके कारण कहा जाता है कि इन्हें कोई भी दीवार कैद नहीं कर सकती है।

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इन देशों में पाए जाते हैं

हनी बेजर अफ्रीका और एशिया के क्षेत्रों में पाए जाते हैं , दक्षिणी मोरक्को से लेकर अफ्रीका के दक्षिणी सिरे तक, और पश्चिमी एशिया के कैस्पियन सागर, तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल और पश्चिमी भारत में। वे मुख्य रूप से शुष्क क्षेत्रों में रहते हैं, लेकिन जंगलों और घास के मैदानों में भी पाए जाते हैं। हनी बेजर अच्छे तैराक होते हैं और पेड़ों पर चढ़ सकते हैं।

छोटा जीव इतना साहसी कैसे?

एक्सपर्ट्स के मुताबिक हनी बैजर के इतना बवाल काट पाने के पीछे इसकी चितनी मोटी चमड़ी का खास हाथ है। इनकी मोटी चमड़ी शेर जैसे मांसाहारी जानवरों के दांतों से भी इनको बचाती है। साथ ही जहरीले जानवरों के जहर को भी खून तक पहुंचने से रोकती है। जहर पहुंच भी जाए तो ये इसके लिए रेजिस्टेंट होते हैं। ये ऐसा कैसे कर पाते हैं, इस पर रिसर्च चल रही है।

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वहीं एक सवाल ये भी है कि खाने को इतने जानवर हैं, तो हनी बैजर को सांप ही क्यों खाते हैं? एक्सपर्ट्स इसका जवाब देते हैं कि हनी बैजर जैसी जगहों में रहते हैं, वहां सांप प्रोटीन का अच्छा सोर्स होते हैं। लिहाजा इन्होंने सांपों के जहर के प्रति ये प्रतिरोधक क्षमता पैदा की होगी ताकि उनका स्वाद उठा सकें। ऐसा देखने को भी मिलता है, हनी बैजर के खाने में 25 प्रतिशत जहरीले सांप शामिल है। कहें तो जिन सांपों के जहर से दूसरे जानवर थरथराते हैं, ये उनको नाश्ते में चबाते है। साइंटिस्ट्स का मानना है, जैसे नेवले की कुछ प्रजातियों में सांपों के जहर के लिए प्रतिरोधक क्षमता होती है. वैसे ही हनी बैजर में भी ऐसा ही कुछ हो सकता है।

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