बिलासपुर. आपने मशहूर शायर इकबाल की ये रचना तो सुनी ही होगी कि मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना,हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा… कुछ ऐसा ही एक वाकया इस ईद के मौके पर सामने आया है.

दरअसल 16 जून को सब अल्लाह की इबादत कर रहे थे और सभी मुस्लमान ईद बनाने में मशरूफ थे. लेकिन प्रदेश की ऐसी भी महिला है. जो ईद के दिन दर्द से कराह रही थी. हालांकि ईद को बीते  घंटों गुजर गए हैं. लेकिन लल्लूराम डॉट कॉम आपको बताने जा रहा है एक ऐसी दास्तान जिसकी  कल्पना आप सपने में भी नहीं कर सकते.

दरअसल ये पूरा मामला है  न्यायधानी बिलासपुर का. जहां  बिलासपुर निवासी अमीन खान की पत्नी कायनात की दोनों किडनी खराब हो चुकी हैं. जिसके चलते वो लंबे समय से बीमार है और कायनात का डायलिसिस बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में चल रहा है. कायनात के दो बच्चे भी हैं. इस बात की जानकारी जैसी ही पेशे से पत्रकार तरूण कौशिक को लगी तो तरूण ने अपनी बचपन की दोस्त कायनात को अपनी एक किडनी देना का फैसला कर लिया है.

इंसानियत के नाते किया ये फैसला

बिलासपुर निवासी तरूण कौशिक ने ये फैसला किया है कि वो अपनी एक किडनी अपनी बचपन की दोस्त कायनात को देगा. तरुण और कायनात की बचपन से ही दोस्ती है. और इसी दोस्ती का फर्ज अदा करते हुए तरुण ने अपनी एक किडनी कायनात को दान देने की सोची. जिससे अब कायनात को एक नई जिंदगी मिलेगी. तरुण ने अपनी दोस्त कायनात को किडनी देकर ईद का सबसे बड़ा तोहफा दिया है.

लेकिन इस पर तरूण का जो कहना है उसे जानकार आपके भी ऑखों से आंसू छलक जाएंगे. तरूण कहते हैं कि मैंने दोस्ती और इंसानियत के नाते  कायनात को किडनी देने का निर्णय लिया. क्योंकि न जाने कब राह चलते मेरी मौत हो जाए उससे बेहतर है कि जब मानव जीवन में जन्म लिए है तो दोस्त होने का फर्ज अदा कर लूं.

इस संबंध मे  मेरा प्रारंभिक टेस्ट भी हो चुका है. संभवतः जुलाई माह मे कायनात को किडनी ट्रांसप्लांट हो जाए. किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर मुख्य टेस्ट शेष बचा है.भगवान ने चाहा तो कायनात को मेरी किडनी ट्रांसप्लांट हो जाएगी.बस मैंने एक दोस्ती होने के नाते इंसानियत का फर्ज अदा करने का एक छोटा सा प्रयास किया है.

 तरूण ने शपथ पत्र देकर किया रास्ता साफ

इंसानियत को पुण्य मानने वाले तरुण कौशिक का कहना है कि जातपात सब हमारे बनाये हुए हैं. हमारा जरूरत के समय किसी के काम आना ही सबसे बड़ा धर्म है. और इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं है. कायनात अली और मैं बचपन से एक साथ पढ़े हैं. उनके घर के लोगों बीमारी के कारण किडनी दे नही सकते थे. ऐसे में मैन कायनात को किडनी देने का फैसला किया. इस फैसले में मेरे पिता बिसहराम और मां चंद्रिका कौशिक दोनों सहमत हो गए हैं.

बता दें कि तरुण की किडनी प्राथमिक टेस्ट में मैच कर गई है. दिल्ली या हैदराबाद में किडनी ट्रांप्लान्ट की जाएगी तरुण खुद भगवान से प्रार्थना कर रहे है कि उनका ट्रांसप्लांट सफल हो जाये. तरुण ने बकायदा शपथ पत्र देकर कायनात अली को किडनी देने का रास्ता साफ कर दिया है.