जस्टिस यशवंत वर्मा (Yashant Verma) के खिलाफ कैश कांड में महाभियोग प्रस्ताव के लिए संसद के दोनों सदनों में स्पीकर को पत्र सौंपा गया है. लोकसभा स्पीकर ओम बिरला (Om Birla)को 145 सांसदों के हस्ताक्षर वाला पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें महाभियोग लाने की सिफारिश की गई है. इसके साथ ही, राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar)को भी इसी प्रकार का पत्र दिया गया है. विपक्षी दलों के नेताओं ने दोपहर दो बजे लोकसभा स्पीकर से मुलाकात कर महाभियोग प्रस्ताव के समर्थन में पत्र सौंपा, जिससे इस प्रस्ताव के लिए सांसदों की संख्या 145 हो गई है.

BJP सांसद ने कि कांवड़ियों के लिए ID कार्ड की घोषणा, कहा- ‘पाकिस्तानी एजेंट कांवड़ यात्रा को…’

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को जानकारी दी थी कि 100 से अधिक सांसदों ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं. उन्होंने बताया कि इस संख्या में अब 145 सांसद शामिल हो चुके हैं. जब उनसे महाभियोग की प्रक्रिया शुरू होने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि यह केवल सरकार का कार्य नहीं है, बल्कि सभी राजनीतिक दलों की सहमति से ही आगे बढ़ेगा.

संजय सिंह ने PM मोदी से संसद में मांगा जवाब, कहा- ‘ट्रंप के दबाव में था भारत का सीजफायर, कहां है पहलगाम हमले के आतंकी’

राहुल गांधी, सुप्रिया सुले ने भी लेटर पर किए हैं साइन

लोकसभा स्पीकर को पत्र सौंपने वाले सांसदों में टीडीपी, कांग्रेस, जेडीयू, जेडीएस, जनसेना पार्टी, शिवसेना और सीपीएम के नेता शामिल हैं. एनसीपी-एसपी की सुप्रिया सुले, भाजपा के अनूराग ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, राजीव प्रताप रूडी और पीपी चौधरी ने भी इस पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके अलावा, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महाभियोग का समर्थन किया है, और पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल के हस्ताक्षर भी पत्र में हैं. कांग्रेस सांसद के. सुरेश ने पहले ही स्पष्ट किया था कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को उनकी पार्टी का पूरा समर्थन प्राप्त है.

‘ED ने अपनी सारी सीमाएं लांघ दी’, सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसी को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुके हैं जस्टिस यशवंत वर्मा की दलील

जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर की है, जिसमें उन्होंने उस पैनल की रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं, जिसके आधार पर महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. उनका तर्क है कि इन-हाउस पैनल ऐसी सिफारिश नहीं कर सकता. इसके साथ ही, उन्होंने औपचारिक शिकायत की अनुपस्थिति और जांच प्रक्रिया के दौरान अपने पक्ष को न सुने जाने का भी उल्लेख किया है.