दिल्ली में नवंबर के दूसरे सप्ताह में ही शीतलहर जैसे हालात बनने लगे हैं। आमतौर पर राजधानी में कड़ाके की ठंड दिसंबर के अंत में महसूस होती है, लेकिन इस बार मौसम ने समय से पहले ही करवट ले ली है। रविवार सुबह तापमान गिरकर 9 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया, जो पिछले तीन वर्षों में नवंबर महीने का सबसे कम न्यूनतम तापमान है। अचानक बढ़ी ठंड के कारण लोगों की दिनचर्या भी प्रभावित हुई है, जबकि मौसम विशेषज्ञ इसे उत्तरी क्षेत्र में सक्रिय ठंडी हवाओं और साफ आसमान का असर बता रहे हैं।

दिल्ली में इस बार ठंड ने सामान्य से काफी पहले ही दस्तक दे दी है। आमतौर पर नवंबर के शुरुआती तीन सप्ताह हल्की सर्दियों के दौर में गुजरते हैं, लेकिन इस बार मौसम ने अचानक करवट लेते हुए पारे को तेजी से नीचे धकेल दिया है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हो रही बर्फबारी और उत्तर-पश्चिम दिशा से चल रही ठंडी हवाओं के कारण राजधानी में तापमान में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की जा रही है। रविवार को दिल्ली की मानक वेधशाला सफदरजंग में न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य से 4.5 डिग्री कम है। यह बीते तीन वर्षों में नवंबर महीने का सबसे कम न्यूनतम तापमान है। इससे पहले 22 नवंबर 2022 को पारा 8.9 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा था। अचानक बढ़ी ठंड ने लोगों को दिसंबर की ठिठुरन का अहसास कराना शुरू कर दिया है।

यह है शीतलहर की स्थिति

मौसम विज्ञानियों के अनुसार यदि न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाए और सामान्य से 4.5 डिग्री या अधिक की गिरावट दर्ज हो, तो इसे शीतलहर की स्थिति माना जाता है। हालांकि, किसी भी क्षेत्र में शीतलहर घोषित करने के लिए यह मानक लगातार दो दिन तक पूरा होना आवश्यक है और कम से कम दो मौसम केंद्रों पर ऐसी स्थिति दर्ज होनी चाहिए।

पालम में महसूस हुई सबसे ज्यादा ठंड

मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले तीन से चार दिनों में दिल्ली में ठंड का अहसास और बढ़ेगा। उत्तरी हवाओं के सक्रिय बने रहने के कारण सुबह-शाम सर्दी का प्रभाव और तेज हो सकता है। रविवार को पालम क्षेत्र में दिन के समय सबसे अधिक ठंड महसूस की गई। यहां अधिकतम तापमान 24.9 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य से 3.5 डिग्री सेल्सियस कम रहा। विशेषज्ञों के अनुसार अधिकतम तापमान में यह गिरावट नवंबर में कम ही देखने को मिलती है। मौसम विभाग का कहना है कि आने वाले दिनों में दिल्ली के विभिन्न इलाकों में हल्के से मध्यम कोहरे की संभावना है। कोहरा बढ़ने के साथ ही तापमान में और गिरावट दर्ज हो सकती है, जिससे सर्दी का असर और तेज होने की उम्मीद है।

रविवार सुबह दिल्ली के अधिकांश इलाकों में हल्की धुंध छाई रही। दिन चढ़ने के साथ धुंध धीरे-धीरे साफ हो गई और धूप निकल आई, लेकिन ठंडी हवाओं के कारण दिन का तापमान सामान्य से नीचे ही बना रहा। सफदरजंग मौसम केंद्र में रविवार को अधिकतम तापमान 27.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से एक डिग्री कम रहा। मौसम विभाग का अनुमान है कि सोमवार से दिल्ली के कई हिस्सों में कोहरा छाया रह सकता है। अगले कुछ दिनों में अधिकतम तापमान 24 से 26 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 8 से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। वहीं हवा की गति पांच से दस किलोमीटर प्रति घंटा रहने का अनुमान है, जिससे सुबह-शाम ठंड का अहसास और बढ़ सकता है।

गैस चैंबर बनी राजधानी दिल्ली

दिल्ली में ठंड बढ़ने के बावजूद प्रदूषण का स्तर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। राजधानी के आसमान में सुबह से ही स्मॉग की घनी परत छाई रही, जिसके कारण लोगों को आंखों में जलन, खांसी और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता सूचकांक (AQI) कई इलाकों में 350 से 400 के ऊपर दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता को देखते हुए दिल्ली में ग्रैप-3 (GRAP-III) लागू कर दिया गया है। इसके तहत निर्माण गतिविधियों पर रोक, डीजल वाहनों की निगरानी और सड़क पर धूल नियंत्रण जैसे कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।

हवा में लगातार बढ़ते प्रदूषण के कारण राजधानी दिल्ली गैस चैंबर जैसी स्थिति की ओर बढ़ती जा रही है। जहरीली हवा में सांस लेना मुश्किल हो गया है, जिससे खासकर सांस और अस्थमा के मरीजों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। दिल्ली-एनसीआर के कई अस्पतालों में सांस संबंधी शिकायतों वाले मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा दर्ज किया जा रहा है। मेदांता अस्पताल के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहन ने मौजूदा हालात को गंभीर बताते हुए कहा कि ऐसी परिस्थितियों में सरकार को तुरंत कड़े कदम उठाने चाहिए ताकि लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे दुष्प्रभावों को कम किया जा सके।

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए ग्रैप-3 लागू कर दिया गया है, लेकिन इसके बावजूद वायु गुणवत्ता में सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। लगातार बिगड़ते हालात के बीच दिल्ली सरकार ने लोगों से निजी वाहनों के बजाय अधिक से अधिक सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने की अपील की है। प्रदूषण से बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे प्रभाव को ध्यान में रखते हुए पाँचवीं कक्षा तक के स्कूलों में पढ़ाई को हाइब्रिड मोड पर कर दिया गया है। वहीं, कार्यालयों को भी कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा देने की सलाह दी गई है, ताकि सड़क पर वाहनों की संख्या कम हो और प्रदूषण स्तर में कुछ कमी लाई जा सके।

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