शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्यप्रदेश में सत्ता सरकारी कर्मचारी मतदाताओं के गलियारों से होकर निकलती है। समय समय पर सरकारी कर्मचारियों के आंदोलनों में पदाधिकारी दिग्विजय सिंह सरकार की तख्तापलट का उदाहरण भी देते रहे हैं। उधर इस बार के विधानसभा चुनाव में कर्मचारियों ने रिकार्ड मतदान किया है, इस मतदान को लेकर राजनीतिक दलों की धड़कने भी तेज हैं। 

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आंकड़े बताते हैं कि मध्यप्रदेश में करीब 10 लाख सरकारी कर्मचारी मतदाता हैं, इसके अलावा साढ़े चार लाख पेंशनर्स भी हैं। कर्मचारी संगठनों के मुताबिक प्रदेश में 51 लाख कुल मतदाता ऐसा है जो सरकारी कर्मचारी के परिवार का है। बीते पांच सालों से लगातार आंदोलन की राह पर खड़े कर्मचारियों का वोट भी सियासतदारों के लिए टेंशन से कम नजर नहीं आ रहा है। मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के सबसे बड़े संगठन तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि मतदान के पहले तमाम कर्मचारियों संगठनों के संयुक्त बैठकों के दौर भी चले। 

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पदाधिकारियों ने यह भी साफ किया कि इस बार का मतदान नाराजगी जाहिर करने के लिए किया गया। मामले को लेकर कांग्रेस का कहना है कि बीते पांच सालों में हुए अलग-अलग मुद्दों और समस्याओं को लेकर आंदोलन इशारा करते हैं कि कर्मचारियों का मत का दान पंजे की मजबूती के लिए किया गया। जबकि बीजेपी ने कर्मचारियों की अलग-अलग पंचायतों को बुलाकर कर्मचारियों के हर वर्ग को संतुष्ठ करने का दावा किया है। दावा यह भी है कि कर्मचारियों का वोट भी बीजेपी के पक्ष में रहा। 

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