प्रतीक चौहान. रायपुर. आरपीएफ पोस्ट के वर्तमान इंस्पेक्टर की छवि बेहद ईमानदार अफसरों के रूप में है. लोग बताते है कि वे एक कप चाय भी मुफ्त में कैंटीन से मंगवाकर नहीं पीते हैं. लेकिन उनके कार्यकाल में आरपीएफ पोस्ट से जो काम हो रहा है, इससे उनकी इस ईमानदार छवि पर दाग लगाने के लिए काफी है. अब उन्हें ये दाग अच्छे लगते हैं या नहीं ये वहीं बेहतर बता पाएंगे.

ये कहना गलत नहीं होगा कि रायपुर आरपीएफ पोस्ट ने कमाई का एक नया जरिया निकाल लिया है. जिसमें न हींग लगती है और न फिटकिरी… लेकिन फिर भी रंग चोखा है और इस रंग में ऐसे कई लोग हैं, जो रंग जाते हैं और यहां रोजाना लंबा खेल चलता है. करीब 2 महीने पहले लल्लूराम डॉट कॉम को ये सूचना मिली थी कि रायपुर रेलवे स्टेशन में नो पार्किंग में खड़ी गाड़ियों के चालान के नाम पर एक लंबा खेल चल रहा है. हमने अपनी पड़ताल शुरू की. लेकिन हम इस पूरे मामले को एक्सपोज करने में कामयाब नहीं हो पाएं. इसीलिए हमने इस मामले को छोड़ दिया, लेकिन पड़ताल कछुए की चाल में जारी रखी.

आरपीएफ प्राइवेट लड़के रख लगवा रही गाड़ियों में चेन

गाड़ियों में चेन लगाते प्राईवेट लड़के

वैसे तो आरपीएफ के पास स्टॉफ की कमी है. लेकिन चूंकि मामला मोटी कमाई से जुड़ा है, इसलिए खुद आरपीएफ ने दो-तीन अलग-अलग प्राइवेट लड़के रख लिए जो नो पार्किंग में खड़ी गाड़ियों में चेन और ताला लगाने का काम करते है. इस खेल को उजागर करने के लिए संवाददाता ने खुद यात्री बनकर नो पार्किंग में गाड़ी खड़ी की और वहां मौजूद लड़कों ने इसमें चेन भी लगवाई. संवाददाता उनके पूरे चालान की प्रक्रिया को समझने के लिए आरपीएफ पोस्ट रायपुर पहुंचा. जहां आरपीएफ अधिकारियों से चालान की प्रक्रिया पूरी करने का निवेदन किया. लेकिन अंदर मौजूद एक स्टॉफ ने संवाददाता को पहचान लिया. उन्होंने अपने उच्च अधिकारी को जाकर ये बता दिया कि संबंधित व्यक्ति संवाददाता है.

इतने में वहां मौजूद साहब भी आए, और संवाददाता से कहा कि वे हमारी गाड़ी में लगी चेन खुलवा रहे हैं,लेकिन संवाददाता ने ऐसा ना करने का निवेदन कर चालानी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का निवेदन किया. इतने में उन्होंने अपने उच्च अधिकारी को फोन लगाया और संवाददाता से बात करवानी चाही, लेकिन संवाददाता ने फोन में बात नहीं किया.
इसके बाद कुछ स्टॉफ संवाददाता को पुनः अपने साथ ले गए. जहां नो पार्किंग में गाड़ियों में चेन लगी हुई थी, लेकिन जब संवाददाता वहां दोबारा पहुंचा तो पहले जहां 10-15 गाड़ियों में चेन लगी हुई थी वो महज 3 ही रह गई, उसमें भी एक गाड़ी संवाददाता की थी. अब सवाल ये है कि वो गाड़ियां अचानक से कहा गायब हो गई ? हालांकि इसके बाद आनन-फानन में आरपीएफ ने पूरी कागजी कार्रवाई शुरू कर दी, क्योंकि वे समझ गए थे कि संवाददाता का उद्देश्य उन्हें एक्सपोज करना है. ये पूरा खेल कैसे होता है ये हम अगली सीरीज में बताएंगे.

थोड़ी देर बाद अचानक गायब हो गई सारी गाड़ियां (इन तीन गाड़ियों में एक गाड़ी संवाददाता की है)