कुमार इंदर, जबलपुर। 43 करोड़ के धान घोटाले में आरोपी अधिकारी और कर्मचारियों से वसूली की जाएगी। जी हां इस मामले में प्रशासन में उन दोषी अधिकारी कर्मचारी और ऑपरेटर की सूची तैयार की ली गई है जो इस पूरे धन घोटाले में मिलर्स के साथ शामिल थे। शासन स्तर से निर्णय लिया गया है कि किसानों के साथ हुए घोटाले की राशि आरोपी अधिकारी कर्मचारी से की जाएगी, शासन ने इसके लिए इन अधिकारियों कर्मचारियों के बैंक खाते भी सीज करना शुरू कर दिए हैं। इस बाबत जबलपुर कलेक्टर राघवेंद्र सिंह का कहना है कि सभी की आरआरसी जारी कर दी गई है, उनके बैंक अकाउंट सीज किए जा रहे हैं और जरूरत पड़ी तो उनकी संपत्तियां भी कुर्क कर किसानों को भुगतान किया जाएगा।

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आरोपी कर्मचारियों पर गाज गिरना तय

धान घोटाले में शामिल 16 राइस मिलर्स के साथ ही अधिकारी, कर्मचारी और ऑपरेटर मिलाकर 12 कर्मचारियों के खिलाफ भी है FIR दर्ज की है। गलत तरीके से उपार्जन और परिवहन करने के आरोप है। कुल 46 राइस मिलर्स की जांच की गई थी जिसमें 43 राइस मिल गड़बड़ी पाई गई थी ।

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कैसे हुई थी धांधली

जबलपुर में चारा घोटाले की तर्ज पर धान घोटाला किया गया था, धान मिलिंग और धान के परिवहन के नाम पर 43 करोड़ का फर्जीवाड़ा किया गया था। जांच में पता चला था कि, 16 करोड़ से ज्यादा धान की फर्जी खरीदी हुई थी। धान ट्रांसपोर्ट के नाम पर 586 वाहनों का ट्रांसपोर्टेशन बताया गया था।जांच में पता चला था कि 586 वाहनों में महज 15 वाहन ही टोल नाके से गुजरे थे बाकी के 576 वाहन ऐसे जो टोल नाके से गुजरे ही नहीं थे मतलब 97.4 % ट्रिप का टोल नाकों से गुजरने का कोई रिकॉर्ड मिला ही नहीं था बावजूद इसके उनका बिल लगाकर भुगतान कर दिया गया।

परिवहन में तमिलनाडु और महाराष्ट्र की गाड़ियों के नंबर

परिवहन घोटाला ऐसा हुआ कि, धान परिवहन में एक दिन में एक ही गाड़ी द्वारा उज्जैन के चार चक्कर दिखा दिए गए। जांच में ट्रक की जगह 55 कारों के नंबर मिले थे, ट्रक की जगह चढ़ा दिया गए पिकअप वैन के नंबर । यही नहीं जांच में 44 गाड़ियों के फर्जी रजिस्ट्रेशन नंबर मिले थे। 121 वाहन ऐसे थे जिनकी लोडिंग क्षमता से 4 गुना ज्यादा लोड बताया गया था। धान परिवहन में तमिलनाडु और महाराष्ट्र की गाड़ियों के नंबर भी शामिल किए गए थे। मंडला, राजगढ़, विदिशा, उज्जैन, ग्वालियर और मुरैना के जिले के राइस मिलर्स शामिल है।

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