सत्या राजपूत, रायपुर। राजधानी रायपुर में समग्र शिक्षा कार्यालय के बाहर आजकल एक नया मेला सजा है. मेला भी ऐसा वैसा नहीं, जहां टिकट नहीं, बल्कि ढाई-तीन लाख रुपये की मोटी रकम चुकानी पड़ती है. जी हां , ये है छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षक (VT) भर्ती का ‘महाकुंभ’, जहां ठेका कंपनियां पैसा दो नौकरी लो का धंधा चला रही हैं. यहां न नियम का डर है, न नैतिकता का बंधन. बस जेब में नोट हो, तो हेल्थ केयर, IT, प्लंबर, ब्यूटी एंड वेलनेस किसी भी ट्रेड में शिक्षक की कुर्सी आपकी.


समग्र शिक्षा जो कागजों में तो शिक्षा को समग्र बनाने का वादा करता है, लेकिन हकीकत में ठेकेदारों की जेबें भरने का जरिया बन गया. प्रदर्शनकारियों की मानें तो 1300 से ज्यादा पदों पर भर्ती के लिए ठेका कंपनियों ने रेट कार्ड तैयार किया 2 लाख से 3 लाख रुपये प्रति सीट. कोई बोले भैया मैंने तो ढाई लाख दिए, तो कोई चिल्लाए मुझे तो तीन लाख में भी सिर्फ वादा मिला और जो न दे सके, वो बस सड़क पर धरना देने को मजबूर हैं.
नियम में निर्धारित बोनस ठेकेदारों ने कहा कोन अस
अजय त्रिपाठी और योगेश देवांगन जैसे अभ्यर्थी तो चीख-चीखकर कह रहे हैं कि भर्ती प्रक्रिया जब से शुरू हुई तब से हमने आवेदन दिए सबूत जमा किए लेकिन सुनवाई कहां? यहां तक कि सरकार ने ‘कोरोना योद्धाओं’ के लिए 10% बोनस अंक का ढोल पीटा था आदेश जारी किया गया था. उस पर उस नियम को भी ठेकेदारों ने अपने जूते की नोक पर रख दिया. स्वास्थ्य मंत्री का पत्र भी कागज का टुकड़ा बनकर रह गया और तो और शिक्षा विभाग का स्पष्ट आदेश था कि कोई NGO या ठेका कंपनी स्कूलों में भर्ती नहीं कर सकती, लेकिन यहां तो नियमों को ताक पर रखकर नोटों का खेल चल रहा है.
समग्र शिक्षा के वित्त अधिकारी प्रभारी एमडी रामकिशोर शर्मा ने कहा कि शिकायत मिली है, मामले की जांच होगी. जांच रिपोर्ट के आधार कार्रवाई होगी. लेकिन अभ्यर्थियों का गुस्सा देखिए वे कहते हैं सोमवार तक कार्रवाई नहीं हुई तो कार्यालय में ताला जड़ देंगे. अब ये ताला खुलवाने के लिए भी क्या ठेकेदार कोई रेट तय करेंगे?
इधर कार्यालय के बाहर धरने पर बैठे अभ्यर्थियों ने कहा कि ये ठेका कंपनी के दलाल दिन-रात चिल्ला रहे हैं. पैसा दो, VT बन जाओ और उधर ठेकेदार मालामाल हो रहे हैं. विभागीय अधिकारी? अरे, वो तो खुर्चन से ही लाल हो रहे हैं. चौंकाने वाली बात ये है कि जिस समग्र शिक्षा का नारा था सबके लिए शिक्षा वो अब सबके लिए वसूली में तब्दील हो चुका है
वहीं आक्रोशित अभ्यार्थियों ने कहा कि विभागीय अधिकारी को ज्ञापन सौंपने के लिए पहुंचे, तो अधिकारी मंजू लता साहू अपने कक्ष में थी. उच्चाधिकारियों को ज्ञापन दे कर लौटे तब तक वह अपनी कक्ष से नौ दो ग्यारा हो गई थीं.
नोट्स नहीं, अब नोट
छत्तीसगढ़ के बेरोजगारों सुनो, अगर आपके पास ढाई-तीन लाख रुपये पड़े हैं, तो देर न करें. समग्र शिक्षा कार्यालय का चक्कर लगाइए, ठेकेदार से मिलिए, और बन जाइए सरकारी स्कूल में ‘व्यावसायिक शिक्षक’. और हां, अगर जेब खाली है, तो धरना देने की प्रैक्टिस शुरू कर दीजिए क्योंकि व्यावसायिक शिक्षा में अब शिक्षा का बाजार अब ‘नोटों’ से चलता है, न कि ‘नोट्स’ से.
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