Naxal eradication home ministry details: Loksabha में गृह मंत्रालय ने नक्सल उग्रवाद के उन्मूलन पर विस्तार से जानकारी दी. सरकार के अनुसार, सुरक्षा बलों की कार्रवाई से वामपंथी उग्रवादी कमजोर हुए हैं और हजारों ने आत्मसमर्पण किया है. इन आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए सरकारी पुनर्वास योजनाएं चल रही हैं. इसमें वित्तीय सहायता, शिक्षा और आजीविका शामिल है. इसके साथ ही 29 टॉप नक्सली कमांडरों को मार गिराया गया है.

केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया कि वामपंथी उग्रवादी न तो भारत के संविधान में विश्वास रखते हैं और न ही लोकतांत्रिक मूल्यों में. सरकार ने कहा कि इन उग्रवादियों ने पिछले सालों में हज़ारों निर्दोष नागरिकों की हत्या की, बच्चों को अनाथ किया और महिलाओं का सुहाग उजाड़ा.सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई से वामपंथी संगठनों की ताकत कमजोर हुई है और बड़ी संख्या में कैडर आत्मसमर्पण कर रहे हैं.

गृह मंत्रालय ने बताया कि June 2019 से अब तक 29 शीर्ष नक्सली लीडर न्यूट्रलाइज किए जा चुके हैं, जिनमें से 14 इस साल मारे गए. 2019 से अब तक 1,106 उग्रवादी मारे गए, 7,311 गिरफ्तार हुए और 5,571 ने हथियार डाल दिए.सरेंडर करने वालों को सरकार वित्तीय सहायता मुहैया करा रही है. उच्च कैडर को 5 लाख रुपये, अन्य कैडर को 2.5 लाख रुपये और हथियार के साथ आत्मसमर्पण करने पर अतिरिक्त राशि दी जा रही है. पुनर्वास अवधि में तीन साल तक 10 हजार रुपये मासिक वजीफा भी दिया जाता है.

इसके साथ ही केंद्र ने राज्यों को पुनर्वास नीतियां तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया है. इन नीतियों के तहत बच्चों को शिक्षा सुविधा, घायल व दिव्यांगों को राहत राशि और उपचार, महिलाओं को आजीविका सहायता और पुलिस सहयोगियों को भूमि व नौकरी में वरीयता प्रदान की जा रही है. गृह मंत्रालय के अनुसार. केवल इसी साल 2,167 माओवादी पुनर्वास योजना का लाभ लेकर मुख्यधारा में लौट चुके हैं.

सरकार ने बताया कि वामपंथी उग्रवाद की समस्या 1967 से चली आ रही है. एक समय पशुपतिनाथ से लेकर तिरुपति तक का इलाका रेड कॉरिडोर माना जाता था, जो अब काफी सिमट चुका है. सरकार का दावा है कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व और गृह मंत्री के मार्गदर्शन में मार्च 2026 तक उग्रवाद का पूरी तरह सफाया हो जाएगा.

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