देश में इन दिनों कई मुद्दे हैं जो जनता के बीच हैं, जिससे जनता का सीधा जुड़ाव है. लोग उन समस्याओं से परेशान हैं. इस बीच संसद का शीतकालीन सत्र भी चल रहा है, लिहाजा उम्मीद थी कि इस सत्र में उन समस्याओं के बारे में चर्चा होगी. देश में बेरोजगारी, महंगाई, गिरता रुपया, इंडिगो एयरलाइंस की समस्या जैसे तमाम मुद्दे हैं, लगा था कि ये मुद्दे संसद में गूंजेंगे, लेकिन इन सब मुद्दों को छोड़कर संसद में 10 घंटे तक वंदे मातरम् पर चर्चा हुई. इस पर विपक्ष ने घोर आपत्ति जताई. विपक्ष के मुताबिक आपत्ति की वजह वंदे मातरम पर चर्चा नहीं है, क्योंकि वंदे मातरम् के प्रति देशवासियों का स्वाभाविक सम्मान है. लेकिन इससे हटकर होना ये चाहिए था कि देश के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा हो. बहरहाल ऐसा हुआ नहीं. इसी को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत ने भाजपा और सरकार पर निशाना साधा है.

हरीश रावत ने एक पोस्ट साझा कर लिखा कि ‘राजनीति में ध्यान भटकाने की कला भी बड़ा अर्थ रखती है. हमारे देश के प्रधानमंत्री भी देश का ध्यान भटकाने की इस कला में माहिर हैं और उनका साथ देने के लिए उन्होंने बांटने वाली मानसिकता के लोगों की एक लंबी फौज खड़ी कर रखी है. जो कट्टरता को हवा दे रहे हैं, एक तरफ की कट्टरता-दूसरी तरफ की कट्टरता को भी बढ़ा रही है, और नुकसान देश का हो रहा है.’
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रावत ने आगे लिखा कि ‘कितनी खूबसूरती के साथ प्रधानमंत्री ने देश का ध्यान महंगाई, बेरोजगारी और इंडिगो की सैकड़ों–सैकड़ों फ्लाइटों के प्रतिदिन रद्द होने से उत्पन्न त्रासदी से हटा दिया है. हवाई मार्ग से यात्रा करने वाले लाखों लोग परेशान हैं, मगर देश में बहस इस पर नहीं हो रही कि इंडिगो की इस विफलता के लिए कौन दोषी है? उड्डयन मंत्रालय पूरी तरह से विफल साबित हुआ है, भारत सरकार भी पूरी तरह से विफल साबित हुई है, मगर देश में इस पर चर्चा नहीं हो रही है. वंदेमातरम् का उपयोग कैसे देश के अंदर हिंदू–मुसलमान के रूप में हमें बांटने के लिए किया जा सकता है, उस पर चर्चा हो रही है.’
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