यूपी में बिजली वितरण के निजीकरण को लेकर उपभोक्ता परिषद ने सनसनीखेज खुलासा किया है. परिषद ने 42 जिलों में निजीकरण करने वाली कंपनी पर सवाल उठाए, जिसमें कंसल्टेंट ग्रांट थॉर्नटन का झूठा शपथ पत्र सामने आया है. शपथ पत्र में दावा किया गया था कि पिछले 3 साल में कोई पेनल्टी नहीं लगी है. लेकिन अमेरिका के PCAOB ने 2024 में कंपनी पर 40 हजार डॉलर की पेनल्टी लगाई गई. उपभोक्ता परिषद ने टेंडर निरस्तीकरण की मांग की और जल्द सीएम योगी से मुलाकात करने की योजना बनाई है.
बता दें कि बिजली कंपनियों के निजीकरण को लेकर प्रदेश में लगातार विरोध हो रहा है. निजीकरण की संभावनाओं के बीच विपक्षी पार्टियां भी सरकार पर हमलावर हैं. बुधवार को ही अखिलेश यादव ने इस मामले को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने X पर लिखा कि बिजली के निजीकरण के पीछे भाजपा का बड़ी कंपनियों से सीधे एकमुश्त चंदा लेने की योजना का लालच ही काम कर रहा है. भाजपा कर्मचारियों की नौकरियां निगल जाएगी और बिजली की मनमानी रेट बढ़ाकर जनता का ही शोषण करेगी. महंगाई की मारी जनता से भाजपा क्योंकि खुद सीधे वसूल नहीं सकती है, इसीलिए वो निजी पूंजीपतियों के माध्यम से जनता की जेब पर डाका डालना चाहती है.
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चंदा वसूली का काम- अखिलेश
उन्होंने आगे लिखा कि ‘सिवाय भाजपा और पूंजीपतियों के निजीकरण का लाभ किसी को नहीं मिलनेवाला. आज बिजली का निजीकरण कर रहे हैं कल को पानी और सड़क पर चलने का भी कर देंगे. भाजपा हर निजीकरण के नाम पर दरअसल चंदा वसूली के काम को ठेके पर देती है. भाजपा का बस चले तो सरकार को ही आउटसोर्स कर दे. साथ ही निजीकरण के माध्यम से भाजपाई आरक्षण का भी अधिकार पिछले दरवाजे से छीन लेना चाहते हैं. हम प्रदेश की जनता, बिजली कर्मचारियों और आरक्षण समर्थकों के साथ हैं और हमेशा रहेंगे’.
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