कांग्रेस सांसद शशि थरूर(Shashi Tharoor) ने पार्टी की वैचारिक दिशा को लेकर एक अहम बयान दिया। थरूर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हाल के कुछ वर्षों में पहले से अधिक वामपंथी (Left-leaning) हो गई है। उन्होंने इसके पीछे का कारण बताते हुए कहा कि यह बदलाव भाजपा की “विभाजनकारी राजनीति” का मुकाबला करने के लिए किया गया है। थरूर के अनुसार, कांग्रेस ने अपनी नीतियों और राजनीतिक रुख में बदलाव इसलिए किया है ताकि भाजपा की सोच और नीतियों का प्रभावी ढंग से जवाब दिया जा सके।

कार्यक्रम में थरूर से पूछा गया कि क्या यह गठजोड़ ‘रेडिकल सेंट्रिज्म’ (कट्टर केन्द्रीयता) का उदाहरण है? इस पर उन्होंने कहा कि उनके विचार व्यवहारिक राजनीति की बारीकियों पर नहीं, बल्कि सिद्धांतों और विचारधारा पर आधारित हैं, जहां कुछ वैचारिक दूरी कम करने की आवश्यकता है। थरूर इससे पहले ‘रेडिकल सेंट्रिज्म’ पर एक व्याख्यान भी दे चुके हैं, जिसमें उन्होंने राजनीतिक स्पेक्ट्रम के दोनों छोरों के बीच संतुलन बनाने और मूल्यों पर आधारित राजनीति की जरूरत पर जोर दिया था।

मनमोहन सिंह की पार्टी थी मध्यमार्गी- थरूर

उन्होंने कहा, “रणनीतिक समायोजन लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कुछ मायनों में इसका नतीजा यह हुआ है कि मेरी पार्टी पहले से कहीं ज्यादा वामपंथी पार्टी बन गई है।” थरूर ने इस बदलाव की तुलना कांग्रेस के पूर्व वैचारिक रुख से करते हुए कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में पार्टी अधिक मध्यमार्गी (centrist) थी। उन्होंने कहा, “अगर आप डॉ. मनमोहन सिंह की पार्टी को देखें, तो आप कह सकते हैं कि वह अपने दृष्टिकोण में अधिक सचेतन रूप से मध्यमार्गी थी। उस समय पार्टी ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की कुछ नीतियों से भी प्रेरणा ली थी।”

थरूर ने कहा कि यह माना जा सकता है कि 1991 से 2009 के बीच कांग्रेस एक मध्यमार्गी (Centrist) दौर में थी। उनके अनुसार, इसी अवधि में पार्टी ने ऐसे नीतिगत फैसले लिए, जो उदार आर्थिक दृष्टिकोण और संतुलित राजनीति का प्रतिनिधित्व करते थे। उन्होंने कहा कि यह मध्यमार्गी चरण 2009 के बाद धीरे-धीरे बदलना शुरू हो गया, और हाल के वर्षों में पार्टी का रुझान पहले से अधिक वामपंथी दिशा में चला गया है. जो भाजपा की राजनीति का मुकाबला करने के लिए किए गए रणनीतिक बदलावों का परिणाम है।

कार्यक्रम में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पार्टी के हालिया वैचारिक रुख पर टिप्पणी करते हुए कहा, “निश्चित रूप से, पिछले कुछ वर्षों में विपक्ष में रहते हुए, कांग्रेस पहले की तुलना में कहीं ज्यादा वामपंथी पार्टी बन गई है। यह रणनीतिक समायोजन है या दार्शनिक विश्वास या जो भी हो, यह तो देखना बाकी है।”

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