सुप्रिया पांडेय, रायपुर। साइबर क्राइम को लेकर पुलिस कर्मियों की ट्रेंनिंग प्रोग्राम की शुरुआत हुई. कालीबाड़ी स्थित यातायात थाने में आयोजित कार्यशाला में पुलिस कर्मियों को साइबर क्राइम को गंभीर अपराध मानकर एफआईआर दर्ज करने की सीख दी गई. कार्यशाला में मुख्य अतिथि एसएसपी अजय यादव के अलावा एएसपी लखन पाटले, एएसपी क्राइम अभिषेक माहेश्वरी, यातायात एसपी एमआर मंडावी मौजूद हैं.

एसएसपी अजय यादव ने कहा कि आज की तारीख में साइबर क्राइम चिंता का विषय है, शहर और ऑर्गनाइजेशन बढ़ने से अपराध की प्रवृत्ति भी बढ़ रही है. धीरे-धीरे साइबर ठगी के केस बढ़ते जा रहे हैं, जो चिंता का विषय है. पहले आरोपी क्लियर होता था, आरोपी का नाम होता था, जानकारी होती थी, ऑनलाइन बिजनेस के बारे में भी हमे पता चल जाता है, यदि उस माध्यम से कोई ठगी होती है.

साइबर ठगी ऐसा विषय है, जिसमें व्यक्ति को पता नहीं चलता कि वो ठगा गया है, उसको यह भी नहीं पता होता कि किसने ठगी की. सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कुछ पता ही नहीं होता कि किसने ठगा, आपको सामने वाले व्यक्ति का सिर्फ मोबाइल नम्बर पता होता है. साइबर क्राइम करने वाले लोग बहुत सतर्क होते हैं. 1950 में भी ये कांड होता था, 2021 में भी वहीं हो रहा, सायबर क्राइम की प्रवृत्ति सरल से कठिन की ओर जाने की है. साइबर क्राइम का मामला बहुत गंभीर है.

एसएसपी अजय यादव ने कहा कि साइबर सेल व जिले की क्राइम टीम के द्वारा मिलकर यह सेमिनार आयोजित किया गया है. कार्यक्रम में हवलदार, एएसआई, सब इंस्पेक्टर, इंस्पेक्टर सभी को साइबर रिलेटेड फ्रॉड के बारे में जानकारी दी जा रही है. साइबर क्राइम में किस तरह से डिटेल्स मिलते है, किस तरह से उस घटना का विश्लेषण किया जाए, कैसे सॉल्व करें इस पर विवेचना की जाएगी.

साइबर फ्रॉड अगर 1 रुपए का भी है तब भी केस रजिस्टर करना चाहिए. ऐसा मेरा मानना है, मैंने जिले में टीम को भी बोला है कि साइबर वाले जो फ्रॉड को भी गंभीर अपराध के रूप में लें। कई बार होता है आप फ्राड लिखकर छोड़ देते है लेकिन वह किसी के मेहनत की कमाई होती है. कई बार लोगों के रिटायरमेंट के बाद पीएफ का पैसा मिलता है, वह लूट लिया जाता है, किसी ने शादी के लिए जमा कर रखा है, वह पैसा लूट लिया जाता है. कार्यशाला में साइबर एक्सपर्ट की टीम भी आई है, उनसे भी सवाल किए जाने वाले राउंड होंगे.