दिल्ली में जल आपूर्ति व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए रेखा गुप्ता सरकार ने 2,406 करोड़ रुपये की संशोधित योजना को मंजूरी दे दी है। यह फैसला पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (Rekha Gupta)की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया। इस योजना का उद्देश्य चंद्रावल वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (WTP) के जलग्रहण क्षेत्र में जल आपूर्ति प्रणाली का व्यापक रूप से पुनर्विकास और आधुनिकीकरण करना है, ताकि राजधानी के बड़े हिस्से में पानी की गुणवत्ता और आपूर्ति दोनों में सुधार लाया जा सके।

एक अधिकारी ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (JICA) की सहायता से चलाई जा रही इस परियोजना के लिए व्यय प्रस्ताव और प्रशासनिक स्वीकृति दोनों को मंजूरी दे दी है। यह परियोजना मध्य और उत्तरी दिल्ली के नौ विधानसभा क्षेत्रों को कवर करेगी और लगभग 22 लाख उपभोक्ताओं को लाभ प्रदान करेगी। अधिकारी के अनुसार, योजना के तहत 1,704 करोड़ रुपये की JICA सहायता केंद्र सरकार के माध्यम से प्राप्त होगी, जबकि दिल्ली सरकार का हिस्सा इस संशोधित योजना में बढ़ा दिया गया है।

चंद्रावल जलग्रहण क्षेत्र (Chandrawal catchment area) में शहर की कुछ सबसे पुरानी जल वितरण लाइनें मौजूद हैं, जिनकी जर्जर स्थिति के कारण लंबे समय से संदूषण और रिसाव की समस्या बनी हुई है। यह क्षेत्र पटेल नगर, चांदनी चौक, मटिया महल, बल्लीमारान, मॉडल टाउन, सदर बाजार, करोल बाग, राजेंद्र नगर और आरके पुरम समेत कई विधानसभा क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति करता है।

परियोजना के तहत 96 वर्ग किलोमीटर से अधिक के चंद्रावल जलग्रहण क्षेत्र में करीब 1,000 किलोमीटर पुराने और क्षतिग्रस्त जल वितरण नेटवर्क को बदल दिया जाएगा। इसके साथ ही 21 भूमिगत जल जलाशयों (underground water reservoirs) का नवीनीकरण भी किया जाएगा, ताकि पानी की गुणवत्ता और सप्लाई की विश्वसनीयता में उल्लेखनीय सुधार लाया जा सके।

परियोजना के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं:

➤ चंद्रावल जल उपचार संयंत्र की क्षमता बढ़ाना: मौजूदा 90 MGD (मिलियन गैलन प्रति दिन) की क्षमता को बढ़ाकर 115 MGD किया जाएगा, ताकि बढ़ती आबादी की जल आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

➤ गैर-राजस्व जल (Non-Revenue Water) में भारी कमी: क्षेत्र में वर्तमान में लगभग 50% पानी बिना हिसाब के जाता है या रिसाव/चोरी में बर्बाद हो जाता है। परियोजना का लक्ष्य इसे घटाकर मात्र 15% तक लाना है, जिससे सप्लाई अधिक कुशल और पारदर्शी बनेगी।

अधिकारी ने आगे बताया कि यह परियोजना तीन वर्षों में पूरी होने की उम्मीद है और इसे छह ‘पैकेज’ में विभाजित किया गया है। फिलहाल पैकेज-1 और पैकेज-2 पर कार्य जारी है। कैबिनेट की मंजूरी मिलने से शेष पैकेजों को भी समयबद्ध तरीके से आवंटित किए जाने का रास्ता साफ हो गया है।

दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के अनुसार, यह परियोजना मध्य दिल्ली में स्थित चंद्रावल संयंत्र के कमांड क्षेत्र के भीतर जल आपूर्ति सेवाओं में व्यापक सुधार लाएगी। यह क्षेत्र दिल्ली के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 6.5% हिस्सा कवर करता है। अधिकारी के अनुसार, इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य पूरे जलग्रहण क्षेत्र में जल संचरण नेटवर्क (transmission networks) बिछाना, माध्यमिक तथा मुख्य जल वितरण पाइपलाइन स्थापित करना, भूमिगत जलाशयों का नवीनीकरण और निर्माण करना, गैर-राजस्व जल को कम करना तथा अंतिम छोर के उपभोक्ता तक निर्बाध जल आपूर्ति सुनिश्चित करना है।

उन्होंने बताया कि पूरे जलग्रहण क्षेत्र की निगरानी एक सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्विज़िशन (SCADA) आधारित प्रणाली के माध्यम से की जाएगी। इसके साथ ही एक शिकायत निवारण प्रणाली (Complaint Redressal System-CRS) भी स्थापित की जाएगी, जो 24×7 शिकायतें दर्ज करेगी और उनका समयबद्ध समाधान सुनिश्चित करेगी।

अप्रैल में, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली जल बोर्ड (DJB) को शहर के पुराने होते जल और सीवेज ढांचे के व्यापक नवीनीकरण के लिए एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया था। DJB मुख्यालय के निरीक्षण के बाद गुप्ता ने कहा था, “पिछले 30 वर्षों में दिल्ली की आबादी कई गुना बढ़ी है, लेकिन सीवेज प्रबंधन और जल आपूर्ति प्रणालियों में उसी स्तर पर सुधार नहीं हुआ है। मौजूदा बुनियादी ढांचा बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं है, जिसके कारण लोगों को लगातार समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हम चरणबद्ध तरीके से पुरानी और क्षतिग्रस्त सीवर तथा जल लाइनों को बदलना सुनिश्चित करेंगे।”

उत्तरी दिल्ली रेजिडेंट्स वेलफेयर फेडरेशन के प्रमुख अशोक भसीन ने कहा कि पिछले डेढ़ वर्ष से नॉर्थ कैंपस, घंटाघर और मलकागंज के आसपास पाइपलाइन बिछाने का कार्य बेहद धीमी गति से चल रहा है। उन्होंने कहा, “भले ही परियोजना के अगले चरणों को मंजूरी दी जा रही है, लेकिन सरकार को पिछले कुछ वर्षों में किए गए काम की गुणवत्ता की भी समीक्षा करनी चाहिए। काम की सुस्त रफ्तार के कारण पूरा इलाका धूल के गुबार में तब्दील हो गया है और परियोजना अभी भी पूरा होने से काफी दूर है।”

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