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मनोज यादव, कोरबा. पिछले काफी दिनों से एंबुलेंस सेवाओं की लापरवाही लगातार सामने आ रही है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है. जिसमें समय पर साधन उपलब्ध ना होने पर पहले प्रसूता ने दम तोड़ा फिर इसके कुछ दिन बाद मंगलवार को नवजात की भी मौत हो गई.
दरअसल, 30 अक्टूबर को इस बच्चे की मां कलावती की सांसे उखड़ गई थी, जिसने कुछ घंटे पहले बच्चे को जन्म दिया था. घटना के बाद नवजात को उसके पालन-पोषण के लिए रिश्तेदार उसे अपने पास रखे हुए थे. बताया गया कि बच्चे ने दूध पीना बंद कर दिया था. वहीं मंगलवार सुबह बच्चे की मौत हो गई. जब शव को घर ले जाने की बारी आई तब परिजनों ने शव वाहन को फोन किया. लेकिन इसके बाद भी कोई रिस्पांस नहीं मिला.
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बच्चे की तबीयत थी खराब
अमली बाई ने बताया कि बच्चे की मां की मौत होने के बाद बच्चे की तबियत खराब थी. जिसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मंगलवार की सुबह 8 बजे मौत होने के बाद सरकारी वाहन को फोन किया गया, लेकिन सुबह से शाम हो गया कोई साधन उपलब्ध नहीं हुआ. अमली बाई ने कहा कि वे लोग काफी गरीब हैं और उनके पास गांव तक वाहन करने के लिए रुपया नहीं है. इसलिए सुबह से ही बच्चे का शव लेकर यहां बैठना पड़ा है.
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प्रसूता के समय भी हुई थी लापरवाही- परिजन
इससे पहले बच्चे की मां कलावती के प्रसव के दौरान भी समय पर एंबुलेंस नहीं मिल सकी थी. इसलिए भी कई प्रकार की समस्याएं हुई थी. महतारी एक्सप्रेस एम्बुलेंस सर्विस के प्रमुख राज गेहानि से जब इस बारे में बातचीत की गई तो उनका कहना था कि केवल मां और बच्चे के ट्रांसपोर्टेशन की जिम्मेदारी हमारी है. डेड बॉडी की नहीं.
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इधर 1 महीने से भी कम समय के नवजात के शव के साथ परेशान हो रहे परिजनों को देखकर मीडिया हरकत में आई. एंबुलेंस सेवा की लापरवाही के बारे में मेडिकल अधिकारियों को बताया. इसके बाद अमला यहां पहुंचा और संबंधित चालकों को कड़ी फटकार लगाई. जिसके बाद आनन-फानन में मुक्तांजलि वाहन के जरिए बच्चे का शव उसके गांव भिजवाया जा सका. मामले को लेकर अलग-अलग तरह से सफाई देने का प्रयास किया जा रहा है. सवाल इस बात का है कि आखिर सेवा प्रदाता अपनी जिम्मेदारी के प्रति उदासीनता क्यों दिखा रहे हैं.