रायपुर। कोरोना काल में जब बाजार ठप पड़ा हुआ है, बैंक से लिए गए ऋण के ब्याज की चिंता से ग्रसित लघु उद्योगों के संचालकों के लिए सुप्रीम कोर्ट से राहत भरी खबर आई है. सुप्रीम कोर्ट ने 2 करोड़ तक के ऋण पर कंपाउंड इंटरेस्ट नहीं लगाए जाने बाबत केंद्र सरकार और आरबीआई को जल्द अधिसूचना जारी करने का आदेश पारित किया है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जानकारी देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि छतीसगढ़ लघु एवं सहायक उद्योग संघ, बिलासपुर की ओर से सचिव एसके चतुर्वेदी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रविंद्र श्रीवास्तव और आशीष श्रीवास्तव ने याचिका प्रस्तुत करते हुए आरबीआई की ओर से 27 मार्च 2020 और 22 मई 2020 को जारी नोटिफिकेशन को चुनौती दी थी. आरबीआई ने इन नोटिफिकेशन में यह निर्देश दिया था कि ऋण जमा करने की अवधि तो बढ़ा रहे हैं, लेकिन उन्हें (ऋण लेने वालों को) ब्याज पर ब्याज देना होगा.
अधिवक्ता श्रीवास्तव ने बताया कि इस प्रकरण में पहली याचिका गजेंद्र शर्मा की ओर से लगाई गई थी, जिसके बाद छतीसगढ़ लघु एवं सहायक उद्योग संघ और अन्य संघों व व्यक्तियों ने अपनी याचिका लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करते हुए 10 सितंबर को केंद्र सरकार के साथ आरबीआई और इंडियन बैंक एसोसिएशन को काउंटर एफिडेविट प्रस्तुत करने को कहा था.
इस पर केंद्र सरकार ने 2 अक्टूबर को एडिशनल एफिडेविट प्रस्तुत करते हुए जानकारी दी कि 2 करोड़ रुपए तक के ऋण पर कंपाउंड इंस्ट्रेस्ट नहीं लिया जाएगा. यह लघु उद्योगों के साथ-साथ व्यक्तिगत ऋण पर लागू होगा. इस मामले में सोमवार को फिर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में बेंच ने कहा कि एफिडेविट को दे दिया गया, लेकिन इस संबंध में केंद्र सरकार की ओर से या आरबीआई की ओर से या बैंकों की ओर से नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने प्रकरण में 9 अक्टूबर तक एफिडेविट फाइल करने के साथ 13 अक्टूबर को अगली सुनवाई की तारीख मुकर्रर की. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से महाधिवक्ता तुषार मेहता, आरबीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वीवी गिरी, इंडियन बैंक एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पक्ष रखा.