दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए एक कैदी को फसल की देखभाल के लिए राहत दी है। अदालत ने उसकी पेरोल अवधि में चार सप्ताह की वृद्धि कर दी ताकि वह अपने 1.4 एकड़ खेत में बाढ़ से प्रभावित फसल को बचाने के उपाय कर सके। अदालत ने कहा कि फसल बर्बाद होने से शख्स के परिवार की आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ सकता है, इसलिए उसे सीमित अवधि के लिए यह राहत दी जा रही है।

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बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस अरुण मोंगा ने कहा कि बाढ़ से फसल को हुआ नुकसान ‘भगवान का कृत्य’ है और याचिकाकर्ता की मौजूदगी आवश्यक है। अदालत ने टिप्पणी की: “याचिकाकर्ता की मौजूदगी इसलिए भी जरूरी है ताकि वह अपने परिवार के एकमात्र आय के साधन की रक्षा कर सके। उसकी विधवा मां और दो छोटे बच्चे पूर्ण रूप से इस पर निर्भर हैं।”

अदालत ने यह भी जिक्र किया कि अब बाढ़ का पानी नीचे उतर रहा है, ऐसे में फसल को बचाने के लिए कई कदम उठाने की आवश्यकता है जैसे उर्वरक और कीटनाशक का छिड़काव। अदालत ने माना कि याचिकाकर्ता की अनुपस्थिति में यह काम प्रभावी तरीके से संभव नहीं होगा और इससे उसके परिवार की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।

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राणा को इससे पहले 18 अगस्त को परोल पर रिहा किया गया था। परोल खत्म होने से एक दिन पहले उसने कोर्ट का रुख किया और अवधि बढ़ाने की मांग की। उसके वकील ने दलील दी कि भारी बारिश की वजह से खेती का काम अधूरा है और करीब 1.5 एकड़ की फसल प्रभावित है। वकील ने यह भी कहा कि राणा की विधवा मां और स्कूल जाने वाले दो बच्चे पूरी तरह खेती से होने वाली आमदनी पर ही निर्भर हैं।

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