बिलासपुर। कोरोना काल में व्यापार के चरमराने से बैंक लोन अदा करने में आ रही परेशानी के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इसमें छत्तीसगढ़ के व्यापारी संगठनों की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ताओं ने दलील दी कि सरकार इसके लिए केवल २ करोड़ तक का लोन लेने वालों को राहत देने की बात नहीं कह सकती, बल्कि उसे आपदाकाल में सभी लोगों को राहत प्रदान करना है. मामले में अगली सुनवाई 2 दिसंबर को तय की गई है.

कोरोना काल में बैंक लोन की ब्याज अदायगी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गजेंद्र शर्मा वि. भारत सरकार की याचिका में सरकार के 2 करोड़ तक लोन माफ करने का नोटिफिकेशय़न जारी करने के साथ मूल याचिकाकर्ता गजेंद्र शर्मा ने अपनी याचिका वापस ले ली, लेकिन मामले में छत्तीसगढ़ के छह व्यापारी संगठनों – छतीसगढ़ लघु एवं सहायक उद्योग संघ, क्रेडाई रायपुर वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया, छतीसगढ़ स्पंज आयरन मेन्युफेक्चरिंग एसोसिएशन, छतीसगढ़ उद्योग महासंघ, होटल एवं रेस्टोरेंट एसोसिएशन और रायपुर ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रविंद्र श्रीवास्तव और स्थानीय अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव ने अपनी दलील जारी रखी.

अधिवक्ताओं ने दलील देते हुए कहा कि डिसाज्सटर मैनेजमेंट एक्ट 2005 के सेक्शन 13 में लोन पेमेंट के तहत सभी लोगों को रि-पमेंट में रिलिफ दिए जाने का प्रावधान है. इसमें गंभीर किस्म की आपदा में नेशनल अथॉारिटी को प्रभावित लोगों के लिए लोन पेमेंट में रिलीफ देने के साथ प्रभावितों को अनुदान प्रदान देने का प्रावधान है. ऐसे में जब आपदा आई हुई है, तो आप इसे वर्गीकृत नहीं कर सकते कि 2 करोड़ तक लोन लेने वालों को राहत देनी है, बाकी लोगों को नहीं देना है. इसमें एक तरफ जहां व्यक्ति के मूल अधिकार अनुच्छेद 14 का उल्लंघन हुआ है, वहीं अनुच्छेद 19 का भी उल्लंघन हुआ है, जिसमें लोगों को देश में व्यापार करने की छूट दी गई है.

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मामले में छत्तीसगढ़ के व्यापारी संगठनों का पक्ष सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 2 दिसंबर की तारीख मुकर्रर की. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की बेंच में हुई सुनवाई में छत्तीसगढ़ के व्यापारी संगठनों की ओर से जहां वरिष्ठ सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता रविंद्र श्रीवास्तव और स्थानीय अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव ने दलील दी, वहीं केंद्र सरकार तरफ से सॉलिसिटर जरनल तुषार मेहता, आरबीआई की ओर से अधिवक्ता वी गिरी, इंडियन बैंकिंग एसोशिएशन की ओर से अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पक्ष रखा.

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