कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। जैन आगम में धनतेरस को ‘धन्य तेरस’ या ‘ध्यान तेरस’ भी कहते हैं। भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे। तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुये दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुये। तभी से यह दिन धन्य तेरस के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
धन्वन्तरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर लोग धनिया के बीज खरीद कर भी घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं। Read More – 35 साल के हुए Virat Kohli : क्रिकेट के हर फॉर्मेट में खूब चला विराट का बल्ला, ये हैं उनके 35 खास रिकॉर्ड …
शुक्रवार, 10 नवंबर को धनतेरस मनाई जाएगी। धनतेरस के दिन लक्ष्मी के साथ धन्वन्तरि की पूजा की जाती है। मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुंद्र मंथन से धन्वन्तरि प्रकट हुए। धन्वन्तरी के हाथों में अमृत से भरा कलश था। धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर और यमदेव की पूजा अर्चना का विशेष महत्त्व है।
धनतेरस के दिन धन्वन्तरि, धन की देवी लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और यमराज का पूजन किया जाता है। अपनी आर्थिक हालत को मजबूत करने के लिए धनतेरस का दिन बहुत अहम होता है। धनतेरस के दिन राशि के अनुसार नीचे लिखे उपाय किए जाएं तो धन-संपत्ति आदि का लाभ होता है।
धनतेरस के शुभ मुहूर्त
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी और 11 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी। धनतेरस तिथि पर प्रदोष काल में पूजा की जाती है। अतः 10 नवंबर को धनतेरस मनाया जाएगा।
स्कंदपुराण के अनुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को प्रदोषकाल में घर के दरवाजे पर यमराज के लिए दीप देने से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है। इस दिन पूरे विधि- विधान से देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि इस दिन प्रदोषकाल में लक्ष्मी जी की पूजा करने से वह घर में ही ठहर जाती हैं।
धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है
धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है। जिसके सम्भव न हो पाने पर लोग चांदी के बने बर्तन खरीदते हैं। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ है सुखी है और वही सबसे धनवान है। भगवान धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हैं।
धनतेरस पर सोना खरीदने की पौराणिक कथा
धनतेरस पर वैसे तो हम कई तरह की चीजें खरीदते हैं लेकिन इस दिन मुख्य रूप से सोना खरीदा जाता है। इसके पीछे एक कथा मशहूर है जिसे लोग आज भी सोना खरीदने से जोड़ते हैं। यह कथा धनतेरस हिम नामक एक राजा के बेटे के श्राप से संबंधित है। कहा जाता है कि राजा हिम के बेटे को श्राप था कि शादी के चौथे दिन ही उसकी मृत्यु हो जाएगी। मगर जब इस बात का राजकुमार की पत्नी को पता चला तो उसने एक नीति बनाई। उसने अपने पति से शादी के चौथे दिन जगे रहने के लिए कहा। मगर पति कहीं सो न जाए इसके लिए वह लगातार गीत और कहानियां सुनाती रही। उसके बाद उसने घर के दरवाजे पर सोने-चांदी व अन्य बहुमूल्य वस्तुएं रख दीं, घर के आस-पास दीये भी जलाए। उस समय यमराज जब सांप के रूप में राजा हिम के बेटे की जान लेने आए तो सोने के आभूषणों और दीपों की चमक से अंधे हो गए। अंधे होने की वजह से यमराज घर के अंदर प्रवेश ही नहीं कर सके। वह आभूषणों के ढेर पर बैठ गए और रात भर गीत सुनते रहे। सुबह होने पर यमराज राजकुमार के प्राण लिए बिना ही चले गए क्योंकि मृत्यु की घड़ी बीत चुकी थी। इस प्रकार सोने के आभूषणों से यमराज की दिशा बदलने की कथा से ही धनतेरस के दिन सोना खरीदने की प्रथा चलने लगी।
त्रयोदशी तिथि में धनतेरस पूजन एवं खरीदी
धनतेरस पर सोने -चांदी, बर्तन, झाड़ू या घर का कोई भी सामान खरीदने वले हैं तो 10 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 35 बजे से शाम 6 बजकर 40 मिनट बजे तक आप खरीद सकते हैं. अगर आप इस दिन खरीदारी न कर पाएं तो आप 11 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट बजे तक खरीद सकते हैं. इसके बाद त्रयोदशी तिथि समाप्त हो जाएगी। Read More – Bigg Boss 17 : Isha Malviya और Samarth Jurel ने घर में की हदें पार, वायरल हो रहा Video …
स्कंदपुराण के अनुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को प्रदोषकाल में घर के दरवाजे पर यमराज के लिए दीप देने से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है। इस दिन पूरे विधि- विधान से देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि इस दिन प्रदोषकाल में लक्ष्मी जी की पूजा करने से वह घर में ही ठहर जाती हैं।
धनतेरस मंत्र : तेरह दिए दरवाजे में रखकर दीपदान के समय ये मंत्र पढ़ें
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात सूर्यज: प्रीयतामिति॥
इस मंत्र का अर्थ है:
त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनन्दन यम प्रसन्न हों। इस मंत्र के द्वारा लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं।
धनतेरस के दिन खरीदारी
कई लोग इस दिन लक्ष्मी जी और कुबेर जी की भी पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी-कुबेर जी की पूजा करने से मनुष्य को कभी धन वैभव की कमी नहीं होती। इस दिन खरीदारी करना शुभ माना जाता है। इस दिन विशेषकर बर्तनों और गहनों आदि की खरीदारी की जाती है। इस दिन निम्न चीजें अवश्य खरीदना शुभ माना जाता है:
- बर्तन
- चांदी के लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति
- कुबेर जी की प्रतिमा
- लक्ष्मी या श्री यंत्र
- कौड़ी और कमल गट्टा
धनतेरस का महत्व
धनतेरस पर मां लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर जी की उपासना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इससे घर में धन संपत्ति आती है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि इसी दिन अपने हाथों में अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे,इसलिए इस दिन उनका पूजन किया जाता है। धन्वंतरि को भगवान विष्णु का 12वां अवतार माना गया है। इस दिन माता लक्ष्मी का पूजन भी विशेष रूप से किया जाता है। लक्ष्मी जी को धन की देवी माना गया है इसलिए धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि के साथ लक्ष्मी जी की भी पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजन करने से माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से घर में सुख- समृद्धि आती है और आर्थिक समस्याओं एवं परेशानियों से मुक्ति मिलती है। धनतेरस के दिन नई चीजें खरीदने की परंपरा भी प्रमुख मानी जाती है। खासतौर पर इस दिन लोग बर्तन,आभूषण, चांदी का सामान, नया वाहन, नया घर आदि खरीदते हैं ताकि वह उनके जीवन में उन्नति प्रदान करें।
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक