कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए केंद्र व राज्य सरकारें लगातार काम रही है पर बीच बीच में कुछ ऐसी घटनाएं सामने आती हैं जो चिंता का कारण बन जाती हैं जबकि सभी देशवासियों को इस संक्रमण से बचाव में सरकार को सहयोग करने की आवश्यकता है. पिछले माह मार्च में केरल में कुछ धार्मिक स्थलों जिसमें मन्दिर, मस्जिद,चर्च शामिल थे. लॉकडाउन का उल्लंघन कर सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए पुलिस ने केस दर्ज किया था, फिर अप्रैल की शुरुआत में निजामुद्दीन से मुस्लिम तब्लीगी जमात के कार्यक्रम से हजारों लोगों के संक्रमित होने का मामला आया, जहां शामिल होकर लोग अनेक प्रदेशों में पहुंचे,और पॉजिटिव पाए गए.

कल फिर एक कर्नाटक के कलबुर्गी से आई एक चिंतनीय खबर है, जिसमें देश भर में लागू लॉकडाउन और तमाम सख़्तियों के बीच कर्नाटक के कलबुर्गी में गुरुवार को आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम में हज़ारों की संख्या में लोग इकट्ठे हो गए. ये लोग सिद्धालिंगेश्वर मेले में भाग लेने के लिए इकट्ठे हुए थे.

इंडिया टुडे के मुताबिक़, इस घटना का जो वीडियो सामने आया है, उसमें हज़ारों लोग एक रथ को खींच रहे हैं. वीडियो में लोगों को कंधे से कंधा मिलाकर रथ को खींचते हुए देखा जा सकता है. इस दौरान न तो लॉकडाउन की कोई फिक्र की गई और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा गया. यह मेला कलबुर्गी जिले के चिट्टापुर तालुका में आयोजित किया गया था.

कलबुर्गी पुलिस ने इसकी पुष्टि करते हुए ट्वीट कर कहा है कि गुलबर्गा ज़िले के रवूर गांव के लोगों ने लॉकडाउन का उल्लंघन किया है. इसके साथ ही पुलिस ने केस भी रजिस्टर कर लिया है. कलबुर्गी वह जिला है, जहां भारत में कोरोना वायरस से पहली मौत हुई थी. लॉकडाउन के बीच इस मेले में हज़ारों लोग इकट्ठा हो गये लेकिन स्थानीय पुलिस और जिला प्रशासन ने उन्हें रोकने की कोई कोशिश नहीं की.

यह मेला ऐसे दिन आयोजित किया गया, जब कर्नाटक में एक दिन में कोरोना वायरस से संक्रमण के सबसे ज़्यादा मामले सामने आए. गुरुवार को राज्य में 34 नये कोरोना संक्रमित मरीज मिले हैं. इस राज्य में अब तक 315 लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और 13 लोगों की मौत हो चुकी है. आयोजकों और ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होने वाले लोगों को विचार करना चाहिए कि वे न केवल स्वयं संक्रमित हो सकते,बल्कि उनके माध्यम से अन्य निर्दोष लोगों को भी संक्रमण हो सकता है. जिससे केंद्र और राज्य सरकारें इस वायरस से बचाव के लिए जो प्रयत्न कर रही है उनमें बड़ी रुकावट आ सकती है. सभी जिम्मेदार लोगों को शासन से सहयोग करना चाहिए.

-लेखक- डॉ. दिनेश मिश्र, रायपुर