रायपुर। शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सदन की कार्यवाही शुरु होते ही पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा को श्रद्धांजलि दी गई। पूर्व मुख्यमंत्री को श्रद्धांजलि देते हुए डॉक्टर रमन सिंह ने उनसे जुड़ी हुई बातों को याद करते हुए कहा कि उनके जाने के बाद ये महसूस हो रहा है कि एक अभिभावक का चले जाना कितना दुःखद है।

रमन सिंह ने कहा कि आज हम प्रदेश और देश के वरिष्ठ नेता को श्रद्धांजलि देने खड़े हुए हैं। वह राजनीति के मोती थे। जब हम चुनावी मैदान में आमने सामने थे तब हम टकरा जाते थे, मैं अक्सर उनके पैर छूता था वह मुझसे कहते थे कि बार बार पैर मत छुआ करो मैं कहता था कि आप मेरे वरिष्ठ हैं।

चुनाव के दौरान हुए एक वाक्ये को याद करते हुए रमन सिंह ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान जब एक बार मेरी गाड़ी फँस गई वहाँ से गुज़रते हुए उन्होंने अपनी गाड़ी रुकवाई अपने ड्राइवर को देखने भेजा। गाड़ी धक्का देकर निकलवाई और फिर मैंने उनसे कहा कि लोकसभा में भी ऐसे ही धक्का दे देना।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए जब मैं दिल्ली में राज्य के विकास के लिए सांसदों की बैठक लेता था तब संकोच होता था। जिस नेता से काफ़ी कुछ सीखा जा सकता है उन्हें कैसे बैठक के लिए कहूँ। लेकिन वोरा जी सबसे पहले बैठक में आते, सुझाव देते। मुझे मेरे हर जन्मदिन में बड़े नेताओं के फ़ोन आते तब भी मुझे किसी फ़ोन का इंतज़ार होता वो वोरा जी का होता। आज उनके जाने के बाद ये महसूस हो रहा है कि एक अभिभावक का चले जाना कितना दुःखद है।