आशुतोष तिवारी,जगदलपुर। लखीमपुर खीरी में किसानों की मौत पर शुरू हुई सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है. इसकी आग देशभर में लगी हुई है. छत्तीसगढ़ भी इससे अछूता नहीं रहा है. केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री रेणुका सिंह ने कहा कि सिलगेर आंदोलन में मारे गए आदिवासियों को किसी प्रकार का मुआवजा देने की कांग्रेस सरकार प्रयास नहीं कर रही है. यूपी में मुआवजे का ऐलान कर रही है. जिस पर पलटवार करते हुए सांसद दीपक बैज ने कहा कि आदिवासी मुआवजा लेने को तैयार नहीं है. यदि वो लेने को तैयार है, तो निश्चित तौर पर उन आदिवासियों को मुआवजा दिया जाएगा.

केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री रेणुका सिंह जगदलपुर दौरे पर हैं. उन्होंने मीडिया से चर्चा में छत्तीसगढ़ सरकार को घेरते हुए कहा कि सिलगेर आंदोलन में मारे गए आदिवासियों को किसी प्रकार का मुआवजा देने की सरकार प्रयास नहीं कर रही है. उत्तरप्रदेश में सीएम योगी की सरकार है, वो वहां अच्छा काम कर रहे हैं. क्राइम की दर को लगभग खत्म कर चुके है. वो जनता के लिए संवेदनशील है.

रेणुका सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री को क्या जरूरत थी वहां जाकर 50-50 लाख के मुआवजा राशि की घोषणा करने की. छत्तीसगढ़ की उन्हें चिंता नहीं है. छत्तीसगढ़ में सैकड़ों किसान आत्महत्या किए है, उनकी चिंता छोड़ यूपी की चिंता कर रहे हैं. अभी कवर्धा जल रहा है. उनको कवर्धा की चिंता नहीं है. जो छत्तीसगढ़ में मारे गए आदिवासी है. आत्महत्या किए किसान है, उनको 50 लाख का मुआवजा देना चाहिए.

इस बयान पर पलटवार करते हुए बस्तर सांसद दीपक बैज ने कहा कि केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्यमंत्री का बयान अपने साथी केंद्रीय मंत्री के बेटे को बचाने जैसा बयान है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रदेश के किसानों के साथ न्याय कर रहे हैं. यूपी सरकार किसानों को कुचलने वाली सरकार है. अगर वह सरकार संवेदनहीन है, तो सीएम भूपेश बघेल की सरकार संवेदनशील है. सिलगेर मामले में सीएम भूपेश बघेल ने अपने आदिवासी जनप्रतिनिधियों को वहां भेजा था. वहां चर्चा हुई और चर्चा होने के बाद इस आंदोलन के समाधान का रास्ता निकला है.

दीपक बैज ने कहा कि मुआवजे की बात है, तो वहां के आदिवासी मुआवजा लेने को तैयार नहीं है. अगर भाजपा को लगता है कि मुआवजा नहीं ले रहे हैं, तो सिलगेर जाकर उनसे बात कर लें. यदि मुआवजा लेने को तैयार हैं, तो निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ सरकार उन आदिवासियों को मुआवजा देगी. रही बात बयान की तो अपने मंत्री को बचाने के लिए छत्तीसगढ़ के किसान और आदिवासियों से तुलना नहीं करनी चाहिए.

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