चंकी बाजपाई, इंदौर। मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में 75वां गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में सेंट्रल जेल से 12 कैदियों को अच्छे आचरण के चलते आज रिहा किया गया। इस दौरान नम आंखों से बंदियों ने गलती से हुए अपराध का उन्हें जीवन भर प्रस्तावा रहने की बात भी कही। रिहा हुए बंदियों को प्रशस्ति पत्र और उनके द्वारा किए गए कार्य का पारिश्रमिक शुल्क भी जेल प्रशासन द्वारा भुगतान किया गया है।

दरअसल, इंदौर के सेंट्रल जेल से 75वे गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में 26 जनवरी को 12 बंदियों को रिहा किया गया। इस दौरान जेल अधीक्षक अलका सोनकर का कहना था कि बंदियों के अच्छे व्यवहार के कारण शासन के आदेश अनुसार आज इन 12 बंदियों को रिहा किया गया है। इसके साथ ही उनके बेहतर जीवन यापन की कामना की गई है। ताकि दोबारा से यह किसी भी अपराध में जेल की सलाखों के पीछे ना आए।

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उनका कहना था कि अपराध से दूर रहा जाता है। अपराधी से नहीं। क्योंकि अपराधी भी मानव जाति का ही एक अंश है। वहीं नम आंखों से रिया हुए बंदी ने कहा कि दोबारा से वह कभी गलती नहीं करेंगे। वही एक रिहा हुए बंदी का कहना था कि, जीजा और जीजी द्वारा उसके जेल के अंदर जाने के बाद उनके बच्चों को लालन-पालन किया गया। जो उन्हें 45 हजार रुपए पारिश्रमिक जेल में मिला है वह उनके चरणों में रख देंगे।

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साथ ही दोबारा से कभी अपराध की गलियों में कदम नहीं रखेंगे। तो वही एक बंदी ने कहा कि मेरे आगे पीछे कोई भी नहीं है। मैं अपना जीवन अब अपराध से दूर रखकर भगवान की भक्ति में लगाऊंगा और यहां से घर जाने के बाद सीधा अयोध्या में श्री राम लला के दर्शन करने जाऊंगा। लेकिन इन बंदियों की आंखों में आंसू तो थे ही साथ में रिया होने से चेहरे पर मुस्कुराहट भी नजर आ रही थी। बतादें कि, इस वर्ष 26 जनवरी पर कोई भी महिला बंदी रिहा नहीं हुई है। केवल 12 पुरुष बंदी ही रिहा हुए हैं।

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