शब्बीर अहमद, भोपाल। केंद्र सरकार ने कल देर शाम पद्म पुरस्कारों का ऐलान कर दिया। मध्य प्रदेश की चार नामी हस्तियों को साल 2024 के लिए चुना गया है। इसमें कला, खेल, साहित्य और शिक्षा में अहम योगदान देने वाली शख्सियतों को पद्मश्री से नवाजा जाएगा। कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पंडित ओमप्रकाश शर्मा और कालूराम बामनिया को सम्मानित किया जाएगा। साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में भगवती लाल राजपुरोहित और खेल के लिए सतेंद्र सिंह लोहिया को पद्मश्री सम्मान दिया जाएगा।
पंडित ओमप्रकाश शर्मा
उज्जैन के रहने वाले 85 वर्षीय पंडित ओमप्रकाश शर्मा को भारत में माच माच लोक रंगमंच का चेहरा माना जाता है। उन्हें साल 2024 के लिए पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा। वे माच और हिंदी रंगमंच के उस्ताद कालूराम शर्मा जी के पोते और पंडित शालिग्राम शर्मा बेटे हैं। उनका संबंध दौलतगंज घराना से है। वे वर्तमान में नानाखेड़ा स्थित अथर्व विहार कालोनी में निवास करते हैं।
डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित
उज्जैन के ही 82 वर्षीय डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित को शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार दिया जाएगा। इनकी जन्मस्थली धार और कर्मस्थली उज्जैन रही। डॉ. राजपुरोहित शासन से राजाभोज पुरस्कार, डॉ. राधाकृष्ण सम्मान, बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी का अधिकांश समय लेखन में बिताया है। वे अपने अब तक के जीवनकाल में महाकवि कालिदास, महान शासक रहे सम्राट विक्रमादित्य, राजा भोज और लोक साहित्य पर अनेकों किताबें लिख चुके हैं।
कालूराम बामनिया
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कबीर वाणी के लोक गायक और अंतरराष्ट्रीय आर्टिस्ट कालूराम बामनिया को कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कारों से नवाजा जाएगा। वे कबीर को अपने अनूठे तरीके से प्रस्तुत करते हैं। कालूराम बामनिया मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में कबीर, गोरखनाथ, बन्नानाथ और मीरा जैसे भक्ति कवियों को गाने की एक जीवंत परंपरा से संबंधित हैं। उन्होंने 9 साल की कम उम्र में ही अपने पिता, दादा और चाचा के साथ मंजीरा सीखना शुरू कर दिया था। जब वे 13 वर्ष के थे, तब वे घर से भाग के राजस्थान चले गए, जहां उन्होंने 1-2 वर्षों के लिए भ्रमणशील मिरासी गायक राम निवास राव के गीतों की एक विस्तृत सूची को समाहित किया।
सतेंद्र सिंह लोहिया
खेल क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए सतेंद्र सिंह लोहिया को भी पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा। वे दोनों पैरों से 70 प्रतिशत दिव्यांग हैं। उनका जन्म 1987 में भिंड के एक छोटे से गांव में एक सामान्य बच्चे की तरह हुआ था, लेकिन जन्म के पंद्रह दिनों के भीतर एक गंभीर बीमारी का उचित इलाज न होने के कारण उनके पैरों की नसें सिकुड़ गईं, जिसके कारण उनके दोनों पैर 70 प्रतिशत अक्षम हो गए। सतेंद्र को कई अवॉर्ड मिल चुके हैं।
सत्येंद्र 2007 में तैराकी शुरू करने के बाद से सात नेशनल और तीन इंटरनेशनल पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप में हिस्सा ले चुके हैं। अब तक नेशनल में 20 मेडल और पांच गोल्ड मेडल हासिल किए। पहला इंटरनेशनल गोल्ड मेडल सत्येंद्र को 2017 में सिडनी में मिला। फिर 23 जून 2018 को लंदन में इंग्लिश चैनल रिले पार करने के बाद उन्होंने 2019 में अमेरिका में कैटरीना चैनल पार कर दूसरी बड़ी उपलब्धि हासिल की थी। इसके बाद 2020 में राष्ट्रपति की ओर से उन्हें तेनजिंग नोर्गे पुरस्कार से नवाजा गया था। उन्होंने 20 सितंबर 2022 को अपने तीन साथियों के 36 किलोमीटर लंबे नॉर्थ चैनल को 14 घंटे 39 मिनट में पार करने का रिकॉर्ड कायम किया था।
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