ग्रेटर नोएडा . बिल्डरों के लिए अपनी परियोजना के बैंक खातों का वार्षिक ऑडिट कराना जरूरी होगा. बैंक खाते में अनिमितता मिलने पर उत्तर प्रदेश रेरा खातों का फॉरेंसिक ऑडिट करा सकता है. परियोजना पूरी होने के बाद खाता बंद करने के लिए एनओसी लेनी होगी.

रेरा ने बिल्डर परियोजनाओं के बैंक खातों को लेकर निर्देश जारी किए हैं. इसमें बैंक खातों के खोलने, उनके संचालन, रेरा को दी जाने वाली रिपोर्ट्स, खातों का ऑडिट और उन्हें बंद करने के लिए व्यवस्था निर्धारित कर दी गई है. रेरा के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी ने बताया कि रेरा में पंजीकृत परियोजनाओं के बैंक खातों की सुचिता सर्वोपरि है. आदेशों के मुताबिक बिल्डर द्वारा बैंक खाते में संशोधन के लिए ऑनलाइन आवदेन किया जा सकेगा. रेरा इसकी स्वीकृति प्रदान करेगा.

प्रोजेक्ट का पूर्णता प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद बैंक खाता बंद करने की अनुमति के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा. इसमें कम्प्लीशन सर्टिफिकेट, आरए-5 में निर्गत प्रमाणपत्र, आरईजी-फॉर्म-3 का अंतिम प्रमाणपत्र और बिल्डर का व्यक्तिगत शपथपत्र लगाना होगा. रेरा आवेदन का परीक्षण करेगा. रेरा संतुष्ट होने के बाद बिल्डर को परियोजना का बैंक खाता बंद करने और खाते में अवशेष धनराशि निकालने की अनुमति देगा.

ये जानकारी भी मुहैया करानी होंगी

परियोजना के बैंक खाते में परिवर्तन के लिए बिल्डर को आवेदन के साथ कई जानकारी मुहैया करानी होंगी. इसमें शुरू में पंजीकृत कोई परियोजना, जिसके बिल्डर द्वारा पंजीकरण के समय बैंक खाता नहीं दिया गया था, क्या बैंक खाता एक से अधिक परियोजनाओं के उपयोग में है आदि शामिल हैं. क्या परियोजना का बैंक खाता परियोजना जनपद से अलग जनपद में है. ये जानकारी उत्तर प्रदेश रेरा को मुहैया करानी होंगी.

सुपरटेक इको विलेज वन पर एक करोड़ 23 लाख रुपये का जुर्माना

सुपरटेक इको विलेज-1 सोसाइटी में एसटीपी के पानी बिना अशोधित न करने के लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने सुपरटेक बिल्डर पर एक करोड़ 23 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.

एसटीपी का पानी बिना शोधित करे नाले में बहाया जा रहा था, जिसकी शिकायत निवासियों द्वारा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से की गई थी. इसको संज्ञान में लेकर कार्रवाई की गई. ग्रेटर नोएडा यूपी प्रदूषण नियंत्रण विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी डी के गुप्ता ने बताया कि सोसाइटी में आबादी के हिसाब से दो एसटीपी प्लांट बने होने चाहिए पर यहां एक प्लांट है. एसटीपी का पानी बिना शोधित करे सोसाइटी के बाहर नाले में बहाया जा रहा था.