संजय विश्वकर्मा, उमरिया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (Bandhavgarh Tiger Reserve) में शनिवार को पहली बार एक जंगली हाथी का रेस्क्यू किया गया। साल 2018 मे जंगली हाथियों का एक दल छत्तीसगढ़ से चलकर बांधवगढ़ की सीमा लाईन मे प्रवेश करने के बाद आज तक बांधवगढ़ के जंगलों में स्वच्छंद घूम रहा है।

उन्हीं में से उक्त नर हाथी दल से अलग रहकर किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहा था। निर्देश के परिपालन में उप संचालक बांधवगढ़ लवित भारती के सफल नेतृत्व में डॉक्टर नितिन गुप्ता ने ट्रंकलाईज कर कब्जे में लिया। खितौली परिक्षेत्र के ढमढमा एरिया में जंगली हाथी का सफल रेस्क्यू (successful rescue of wild elephant)किया। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार उक्त नर जंगली हाथी को कान्हा टाइगर रिजर्व (Kanha Tiger Reserve) भेजा जाएगा, जहां उसे प्रशिक्षित किया जाएगा।

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छत्तीसगढ़ से आए थे 38 हाथी 

उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (बीटीआर) में साल 2018 में 38 हाथियों का झुंड आ गया था। अधिकारियों के मुताबिक ये हाथी छत्तीसगढ़ से दो अलग-अलग झुंडों में आए थे। पहली बार में 27 और दूसरी बार में 11 हाथी आए। इनके अलावा दो बच्चों का जन्म भी बीटीआर के जंगल में हुआ। इससे यह माना जा रहा है कि फैमिली फाॅर्मेशन के लिए भी ये स्थान हाथियों के लिए काफी मुफीद है। खेतौली के पास से उमरार नदी बहती है, जहां से हाथी अपनी प्यास बुझाते हैं। अभी 30 हाथी खेतौली के आसपास तो 10 हाथी पनपथा के जंगल में घूम रहे हैं।

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बीटीआर हाथियों को खुब भा रहा 

बीटीआर में अधिकांश बांस के जंगल हैं। हाथी बांस की पत्तियां खाना ज्यादा पसंद करते हैं। इसके साथ ही हरे पेड़ों की छाल, पानी भी उन्हें आसानी से मिल रहा है, यही कारण है कि हाथी यहां से छत्तीसगढ़ के जंगलों में नहीं लौट रहे हैं। इसके अलावा बीटीआर में शोर शराबा भी नहीं है। छत्तीसगढ़ में जंगलों के बीच कोयले की खदानों में काम और मशीनों के शोरगुल से परेशान हाथियों ने अपना ठिकाना बदल लिया है।