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उत्तराखण्ड के चमोली जिले में माणा गेट के पास बीआरओ कैंप में हिमस्खलन की चपेट में आए श्रमिकों को बचाने के लिए राहत एवं बचाव कार्य लगातार युद्ध स्तर पर किया गया. इस रेस्क्यू अभियान में 55 मजदूरों में से 46 को सुरक्षित बाहर निकाला गया, जबकि 8 श्रमिकों के शव बरामद हुए, वहीं एक अब भी लापता है. राहत और बचाव कार्य में लगे खोज एवं बचाव दलों ने आज 4 और शव बरामद किए. इससे पहले 4 अन्य श्रमिकों के शव निकाले जा चुके थे. अब तक 8 श्रमिकों की मौत की पुष्टि हुई है. इधर 46 श्रमिकों को सुरक्षित बचा लिया गया है. 2 श्रमिकों का एम्स ऋषिकेश में इलाज चल रहा है.
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सुरक्षित निकाले गए 46 श्रमिकों में से 44 को ज्योतिर्मठ स्थित सेना अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी स्थिति सामान्य बताई जा रही है. रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र का दौरा कर बचाव कार्यों की समीक्षा की. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि लापता 4 श्रमिकों को जल्द से जल्द खोजा जाए और मौसम खराब होने से पहले रेस्क्यू ऑपरेशन को पूरा किया जाए. इस अभियान में वायुसेना और अन्य सुरक्षा बलों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. राहत कार्यों के लिए एमआई-17 हेलीकॉप्टर, तीन चीता हेलीकॉप्टर और राज्य सरकार के दो हेलीकॉप्टर तैनात किए गए. एम्स ऋषिकेश से एक एयर एंबुलेंस भी घायलों के इलाज के लिए तैनात रही.
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रेस्क्यू ऑपरेशन को गति देने के लिए ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार, थर्मल इमेजिंग कैमरा, विक्टिम लोकेटिंग कैमरा, रोटरी रेस्क्यू सॉ, एवलांच रॉड और डॉग स्क्वाड जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया. एनडीआरएफ (NDRF), एसडीआरएफ (SDRF) और सेना के जवानों ने इस ऑपरेशन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई.
राज्य सरकार उठाएगी इलाज का खर्च
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने पर संतोष व्यक्त किया और इसमें शामिल सभी एजेंसियों- आपदा प्रबंधन, सेना, ITBP, बीआरओ, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, जिला प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, वायु सेना, यूकाडा, अग्निशमन विभाग, खाद्य विभाग और ऊर्जा विभाग की सराहना की. सरकार ने घोषणा की कि गंभीर रूप से घायल श्रमिकों के इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार की ओर से वहन किया जाएगा. प्रशासन लगातार श्रमिकों और उनके परिवारों के साथ संपर्क में है और उन्हें हरसंभव सहायता प्रदान की जा रही है.
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