कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहरी क्षेत्र का लगातार विस्तार हो रहा है। ऐसे में कई ग्रामीण क्षेत्र अब नगर निगम सीमा क्षेत्र में शामिल हो गए है, लेकिन यहां रहने वाले आज भी ग्रामीण रहवासियों जैसे ही हालात का दंश झेल रहे है। कुछ इलाके तो ऐसे है जहां प्यास बुझाने के लिए जहरीले कुएं का से ही काम चलाना पड़ रहा है।

दरअसल ग्वालियर की बड़ी ग्रामीण आबादी को शहरी सीमा में शामिल करने के लिए परिसीमन किया गया था। जिसके बाद यहां रहने वालों को सुनहरे विकास के सपने दिखना शुरू हुए थे, लेकिन यहां परिसीमन सिर्फ कागजी और दिखावा साबित हो रहा है। 5 साल से भी ऊपर का समय बीत चुका है लेकिन आज तक यहां मूलभूत सुविधाएं भी रहवासियों को नसीब नहीं हुई है।

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ग्वालियर का वार्ड 62 कहने को तो नगर निगम की सीमा में शामिल है। लेकिन इतने सालों बाद भी यहां लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिल पा रहा है, यहां के चकरामपुरा के लोग पुराने दूषित कुएं का पानी-पीने को मजबूर हैं, जिसके कारण कई बार ग्रामीण गंभीर बीमार पड़ जाते हैं। इतना ही नहीं खराब पानी के कारण उनका खाना भी खराब हो जाता है।

उन्होंने इसकी शिकायत स्थानीय पार्षद से लेकर नगर निगम के अधिकारियों से भी की है। लेकिन आज तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई, जरा आप भी तस्वीरों में देखिए जिस पानी को शायद जानवर भी ना पिए उस पानी को यहां के बच्चों महिलाओं और बुजुर्गों को पीना पड़ रहा है। कहने को तो ग्वालियर नगर निगम ने अपने वार्डों को बेहतर बनाने के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाया है इसमें सीवर प्रोजेक्ट से लेकर पेयजल आपूर्ति के लिए वाटर लाइन प्रोजेक्ट शामिल है, लेकिन वह प्रोजेक्ट कहां चले गए इसका जवाब शायद किसी के पास नहीं है।

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कहां कहां दूषित पानी जानलेवा हो गया

  • जून के महीने में ग्वालियर चंबल अंचल के भिंड जिले के फूप कस्बे में दूषित पानी पीने से तीन लोगों की मौत हो गई थी।एक सैकड़ो लोग गंभीर रूप से बीमार हो गए थे।
  • शिवपुरी जिले के कोलारस में भी अगस्त के महीने में दूषित पानी पीने से एक की मौत हुई थी जबकि कई लोग बीमार हुए थे।
  • कुछ समय पहले मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में भी दूषित पानी से लोग बीमार हुए थे।

इस गंभीर मामले में ग्वालियर नगर निगम आयुक्त अमन वैष्णव का कहना है कि परिसीमन में शामिल हुए नए वार्डों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए अलग से एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है। वहां पेयजल आपूर्ति से लेकर सीवर स्ट्रीट लाइट पार्क आदि का विकास किए जाने की कार्य योजना तैयार की गई है। जल्द ही इन वार्डो को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।

गौरतलब है ग्वालियर नगर निगम इन ग्रामीण क्षेत्र के वार्डों से संपत्ति कर, जलकर सहित अन्य टेक्स तो वसूल रहा है, लेकिन इन्हें सुविधा देने के मामले में बहुत पीछे है। यहां के निवासी नरक से भी बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है। एक तरफ तो ग्वालियर में विकास के दावों की बड़ी-बड़ी बातें दूसरी तरफ यहां के नगर निगम सीमा क्षेत्र के रहवासियों को शुद्ध पीने का पानी भी नसीब नहीं है यह ग्वालियर नगर निगम की कड़वी सच्चाई उजागर हुई है।

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