पिछले साल अगस्त के महीने में एक एसएमई आईपीओ ने सोशल मीडिया पर खूब चर्चा बटोरी थी, जिसका नाम था रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल का आईपीओ. इस आईपीओ पर 400 गुना से भी ज्यादा बोलियां लगाई गईं. हालांकि, यह सिर्फ सब्सक्रिप्शन के आंकड़ों के लिए ही चर्चा का विषय नहीं बना, बल्कि इस आईपीओ को लेकर कई सवाल भी उठे.

इस कंपनी के पास यामाहा के सिर्फ दो शोरूम थे. आईपीओ के वक्त कंपनी में सिर्फ 8 कर्मचारी काम करते थे. ऐसे में निवेशकों के लिए 400 गुना से भी ज्यादा निवेश आकर्षित करना कई लोगों के लिए हैरानी की बात थी.
कंपनी ने जुटाए सिर्फ 12 करोड़ रुपये
इस आईपीओ के जरिए कंपनी ने सिर्फ 12 करोड़ रुपये जुटाए, लेकिन इस पर मिली बोलियों की कुल रकम 2,700 करोड़ रुपये तक पहुंच गई. ज्यादातर निवेशकों का मानना था कि क्या इतने छोटे एसएमई के साथ जोखिम लेना सही है? यह समझना जरूरी है. खासकर तब जब कंपनी की आय और संचालन इतने छोटे स्तर पर हो.
अब शेयर की कीमत में 50% की गिरावट आई है
अब आईपीओ लॉन्च होने के सात महीने बाद इसके शेयरों में 50% से ज़्यादा की गिरावट आई है, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि जिन निवेशकों ने तेज़ी से मुनाफ़े की उम्मीद में ये शेयर खरीदे थे.
उनका अनुमान ग़लत साबित हुआ. इस आईपीओ का इश्यू प्राइस करीब 117 रुपये था. यह घटना निवेशकों को सोचने पर मजबूर कर रही है कि क्या ऐसे छोटे एसएमई के आईपीओ में निवेश करना सुरक्षित है?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल 15 से ज़्यादा एसएमई के आईपीओ को 400 गुना से ज़्यादा सब्सक्रिप्शन मिला. कुछ मामलों में तो यह आंकड़ा 2000 गुना तक पहुंच गया.
इससे निवेशकों और विशेषज्ञों के बीच कई सवाल उठे कि इतनी तेज़ी से मुनाफ़े की उम्मीद के साथ क्या कुछ नियमों की ज़रूरत नहीं है. इसके बाद मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एसएमई के लिए कुछ सख्त नियम बनाए.
एसईबी ने एसएमई आईपीओ को लेकर उठाए सख्त कदम
मार्केट रेगुलेटर सेबी ने अब एसएमई आईपीओ के लिए सख्त शर्तें लगा दी हैं. अब किसी भी कंपनी को पब्लिक ऑफरिंग के लिए कम से कम दो वित्तीय वर्षों में 1 करोड़ रुपये का ऑपरेटिंग प्रॉफिट (EBITDA) दिखाना होगा.
इसके अलावा ऑफर-फॉर-सेल (OFS) की सीमा भी 20% तक सीमित कर दी गई है और बेचने वाले शेयरधारकों को अपनी हिस्सेदारी का 50% से अधिक बेचने की अनुमति नहीं होगी. नए नियम के बाद लगाम सेबी द्वारा लागू किए गए ये सख्त नियम अब अपना असर दिखा रहे हैं.
इस साल एसएमई आईपीओ में निवेश में काफी कमी आई है और ग्रे मार्केट में ट्रेडिंग भी लगभग खत्म हो गई है. पिछले दो महीनों में सबसे ज्यादा सब्सक्राइब होने वाला आईपीओ करीब 44 गुना रहा, जो पिछले साल के मुकाबले काफी कम है.
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