रायपुर– मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्य सरकार, छत्तीसगढ़ के पुरखों के योगदान को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए काम करेगी. उन्होंने कहा कि जो देश और समाज अपना इतिहास भूल जाता है, उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है. बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के महापुरूषों के योगदान को स्कूल-कालेजों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए, जिससे भविष्य की पीढ़ी को उनके कार्यों, संघर्षों, योगदान, आदर्श और सपनों की जानकारी मिले. मुख्यमंत्री कल स्थानीय विप्र भवन में छत्तीसगढ़ी ब्राम्हण समाज द्वारा संत कवि पवन दीवान की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा और सम्मान समारोह को सम्बोधित कर रहे थे.

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ी ब्राम्हण समाज की ओर से साहित्यकार डॉ. परदेशी राम वर्मा और मीर अली मीर को शाल श्रीफल प्रतीक चिन्ह और इक्कीस हजार रूपए की राशि देकर सम्मानित किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृति मंत्री ताम्रध्वज साहू ने की. कार्यक्रम में कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, नगर निगम के महापौर प्रमोद दुबे, वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैयर, सहित छत्तीसगढ़ ब्राम्हण समाज के पदाधिकारी और विभिन्न क्षेत्रों से आए साहित्यकार उपस्थित थे.

मुख्यमंत्री ने संत कवि पवन दीवान के योगदान का स्मरण करते हुए कहा कि वे अद्भुत व्यक्ति थे, साहित्य, कविता, धार्मिक, सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र में सक्रियता से भाग लेते थे. वे एक निश्च्छल और कवि हृदय और एक अच्छे भागवताचार्य थे. उन्होंने सदैव छत्तीसगढ़ की अस्मिता और स्वाभिमान के लिए कार्य किया. बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के महापुरूषों के योगदान को चिर स्थायी बनाने के लिए यहां के कवि, साहित्यकार, कलाकार, समाज सुधारकों और राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेने वाले पुरखों ने छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ को पहचान दी है, उन सभी पर डाक्यूमेंट्री फिल्म, पुस्तकों, नाटक और कहानी आदि की रचना का कार्य हम सब-मिल जुल कर करेंगे.

समारोह की अध्यक्षता करते हुए संस्कृति मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि संत कवि पवन दीवान लोगों के दिलों में राज करते थे. उनकी सोच में सहिष्णुता और व्यापकता थी. छत्तीसगढ़ में सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए कलाकारों, साहित्यकारों, कवि, लेखकों आदि से सुझाव लेकर कार्ययोजना बनायी जाएगी. इसी प्रकार धर्मस्व विभाग द्वारा राज्य के मंदिरों को चिन्हांकन कर उनके रखरखाव, धार्मिक न्यास विभाग द्वारा पंजीयन की कार्रवाई की जाएगी.

कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि संत कवि पवन दीवान की वाणी में ओज, मधुरता और करूणा थी. उनकी वाणी में छत्तीसगढ़ की सौंधी महक थी. जब वे छत्तीसगढ़ की पीड़ा को व्यक्त करते थे तब लोगों की आंखों में आंसू आ जाते थे. हमारे पुरखों ने जो सपना देखा था उसे आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी हम सबको लेना है.

समारोह में मुख्यमंत्री ने डॉ. सुधीर शर्मा और श्री लक्षमण मस्तुरिहा द्वारा संत कवि पवन दीवान पर लिखित पुस्तकों का विमोचन किया गया. समारोह को साहित्यकार डॉ. परदेशी राम वर्मा और मीर अली मीर, वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैय्यर, साहित्यकार रवि श्रीवास्तव, विप्र प्रबंधन समिति के अध्यक्ष नरेन्द्र तिवारी और छत्तीसगढ़ युवा विकास संगठन के अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा ने भी सम्बोधित किया.