Retail Inflation Rate: भारत के आम लोगों के लिए एक अच्छी खबर है. खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट के चलते मई 2025 में देश की खुदरा महंगाई दर 3 परसेंट से नीचे रहने का अनुमान है. अगर यह अनुमान सही निकला तो यह खुदरा महंगाई का पिछले 6 साल का सबसे निचला स्तर होगा.

इससे पहले अप्रैल 2025 में खुदरा महंगाई 3.16% पर दर्ज की गई थी, जो कि 69 महीनों का न्यूनतम स्तर है. इससे पहले जुलाई 2019 में महंगाई 3.15% थी. वहीं मार्च 2025 में यह आंकड़ा 3.34% रहा था, जो तब 5 साल 7 महीनों का निचला स्तर था.
RBI भी हुआ सतर्क, महंगाई अनुमान घटाया
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 4 से 6 जून के बीच हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में 2025-26 के लिए महंगाई अनुमान को 4% से घटाकर 3.7% कर दिया है.
इसके अलावा, अप्रैल-जून तिमाही के लिए महंगाई पूर्वानुमान को भी 3.6% से घटाकर 2.9% किया गया है.
महंगाई घटती-बढ़ती क्यों है?
महंगाई की चाल मुख्य रूप से बाजार में मांग (डिमांड) और आपूर्ति (सप्लाई) पर निर्भर करती है.
जब लोगों के पास पैसे ज्यादा होते हैं, वे ज्यादा चीजें खरीदते हैं, जिससे डिमांड बढ़ती है.
अगर सप्लाई उस डिमांड के अनुसार नहीं बढ़ती, तो कीमतें बढ़ जाती हैं — यही महंगाई है.
इसके उलट, जब डिमांड कम और सप्लाई ज्यादा होती है, तो कीमतें गिरने लगती हैं, जिससे महंगाई घटती है.
महंगाई का पैमाना: CPI क्या है?
भारत में खुदरा महंगाई की गणना Consumer Price Index (CPI) से की जाती है.
यह इंडेक्स बताता है कि एक उपभोक्ता अपने रोजमर्रा के सामान और सेवाओं के लिए औसतन कितना खर्च कर रहा है.
CPI में लगभग 300 उत्पादों और सेवाओं की कीमतों को शामिल किया जाता है, जैसे:
खाद्य पदार्थ
कच्चा तेल
उर्जा संसाधन
दवाइयां
मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट
इन सभी का संयुक्त मूल्य ही महंगाई दर निर्धारित करता है.
जनता को क्या फायदा होगा?
अगर मई में महंगाई वाकई 3% से नीचे पहुंचती है, तो रसोई का बजट हल्का होगा. दवाओं और आवश्यक सेवाओं में राहत मिलेगी. आरबीआई पर ब्याज दरों को कम करने का दबाव बढ़ेगा. लोन की EMI सस्ती होने की उम्मीद बनेगी.
आज आएंगे आधिकारिक आंकड़े
आज 12 जून को भारत सरकार मई 2025 के खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी करेगी. सभी की निगाहें इस रिपोर्ट पर टिकी हैं क्योंकि इससे बाजार की दिशा और आम लोगों की जेब, दोनों पर असर पड़ेगा.