नई दिल्ली: पाकिस्तान के खिलाफ सेना के ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ पर सियासी बयानबाजी के बाद रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने कहा है कि बढ़ा-चढ़ाकर प्रचार करना ठीक नहीं है. ऑपरेशन को राजनीतिक रंग दिया गया, जिसकी जरूरत नहीं थी. जनरल हुड्डा 29 सितंबर 2016 को नियंत्रण रेखा के पार की गई सर्जिकल स्ट्राइक के वक्त उत्तरी सैन्य कमान के कमांडर थे.

लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता को लेकर शुरुआती खुशी स्वाभाविक है लेकिन सैन्य अभियानों का लगातार प्रचार करना अनुचित है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह बेहतर होता कि ऐसी सर्जिकल स्ट्राइक की जानकारी गोपनीय रखी जाती.

हुड्डा ने कहा, ”मैं सेना की नजर से देखता हूं पूरे मामले को. सर्जिकल स्ट्राइक जरूरी था. उड़ी में हमारे कई जवान मारे गए ते, तो पाकिस्तान को कड़ा संदेश भेजना जरूरी था. अगर वह हमारी तरफ आकर किसी भी तरह की गतिविधि को अंजाम देते हैं तो हम भी उधर घुसकर कार्रवाई कर सकते हैं. मुझे लगता है कि इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया. जिसकी जरूरत नहीं थी. थोड़ा राजनीतिक रंग ले लिया. सेना के ख्याल से लगता है कि यह काफी सफल ऑपरेशन था और हमें करने की जरूरत थी.”

आपको बता दें कि हालिया चुनावों में सर्जिकल स्ट्राइक का खूब जिक्र किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाकर सेना का अपमान किया तो वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने हार से बचने के लिए सैन्य अभियान का जिक्र रैलियों में किया.

राहुल ने राजस्थान में पिछले दिनों कहा था, “जब सेना मनमोहन सिंह के पास आई थी और कहा था कि वे हमला करना चाहते हैं. तो उन्होंने कहा था कि हमें अपने उद्देश्यों के लिए इसे गुप्त रखने की जरूरत है. यूपीए सरकार के कार्यकाल में तीन स्ट्राइक हुए और उसे सैन्य संपत्ति के रूप में गुप्त रखा गया.”