भोपाल: मध्य प्रदेश सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। विश्व की सबसे बड़ी रीवा सोलर प्रोजेक्ट प्रदेश में स्थापित एवं प्रारंभ हो चुकी है। इस परियोजना को हार्वर्ड विश्वविद्यालय द्वारा केस स्टडी के रूप में शामिल किया गया है। दूसरी ओर, ओंकारेश्वर में क्षेत्र की जीवनदायिनी नर्मदा नदी पर 600 मेगावाट क्षमता की दुनिया की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सोलर परियोजना भी विकसित की जा रही है। इसके अलावा क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में सौर ऊर्जा की कई छोटी-बड़ी परियोजनाएं भी निर्माणाधीन हैं।

छतों पर सोलर पैनल लगवाने के लिये चलाया जाएगा अभियान

मुख्यमंत्री डाॅ. यादव ने कहा कि हाल ही में गुजरात के गांधी नगर में नवकरणीय ऊर्जा पर आयोजित राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में कई उद्योगपतियों ने मध्य प्रदेश में सोलर प्लांट लगाने की इच्छा व्यक्त की है। राजधानी भोपाल में शासकीय भवनों एवं नागरिकों को अपने घरों की छतों पर सोलर पैनल लगवाने के लिये अभियान चलाया जायेगा। इन सभी प्रयासों से मध्य प्रदेश सौर ऊर्जा प्रदेश बनने की दिशा में आगे बढ़ा है।

एक आदर्श उदाहरण हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाया जाता है

मध्य प्रदेश में स्थित विश्व के सबसे बड़े रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर पावर पार्क एवं प्लांट को विश्व के सबसे प्रसिद्ध हार्वर्ड विश्वविद्यालय में उत्कृष्ट प्रबंधन, संचालन एवं सौर ऊर्जा उत्पादन के अनुकरणीय उदाहरण के रूप में पढ़ाया जा रहा है। रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर पावर प्लांट न केवल दुनिया का सबसे बड़ा प्लांट है, बल्कि दुनिया का सबसे सस्ता वाणिज्यिक बिजली उत्पादन संयंत्र भी है। यहां 3 रुपये से लेकर 30 पैसे प्रति यूनिट बिजली है।

25 साल तक उपलब्ध रहेगा

मध्य प्रदेश में सौर ऊर्जा प्रचुर मात्रा में है। यहां 300 से भी ज्यादा दिनों तक सूरज की रोशनी रहती है। यह विश्व बैंक के स्वच्छ प्रौद्योगिकी कोष के माध्यम से वित्त पोषित देश की पहली सौर परियोजना है। भारत आज दुनिया की शीर्ष 10 सबसे बड़ी सौर परियोजनाओं में से एक है। रीवा सौर ऊर्जा संयंत्र उनमें से एक है।

इसकी शुरुआत कैसे हुई?

भारत सरकार ने वर्ष 2014 में सोलर पार्क योजना शुरू की थी। इसका उद्देश्य सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना था। इस योजना में 500 मेगावाट से अधिक क्षमता वाली सौर परियोजनाओं को सोलर पार्कों में शामिल किया गया है और इन्हें अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क कहा जाता है। केस स्टडी में बताया गया कि भारत में 4 लाख 67 हजार वर्ग मीटर बंजर भूमि का अनुमान लगाया गया है। इसका उपयोग सोलर प्लांट लगाने में किया जा सकता है। मध्य प्रदेश में 1579 हेक्टेयर भूमि का आकलन किया गया है, जिसमें 1255 हेक्टेयर बंजर सरकारी भूमि और 384 हेक्टेयर निजी भूमि शामिल है।

इस तरह हुई रीवा सोलर अल्ट्रा मेगा सोलर प्लांट की शुरुआत

रीवा सौर ऊर्जा संयंत्र की यात्रा दिलचस्प है। इसकी शुरुआत जून 2014 में बदवार गांव में 275 हेक्टेयर भूमि के आवंटन के साथ हुई। राज्य सरकार ने अप्रैल 2015 में रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर प्लांट की स्थापना को मंजूरी दी थी। दो माह बाद रेवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड की स्थापना हुई, जिसमें म.प्र. ऊर्जा विकास निगम और SECI के साथ 50-50 संयुक्त उद्यम स्थापित किया गया था। इसके बाद बदवार, बरसेटा देश, बरसेटा पहाड़, अन्य पहाड़, रामनगर पहाड़ गांवों में 981 हेक्टेयर जमीन आवंटित की गयी. वर्ष 2018-19 तक एवं ग्राम में उपलब्ध बंजर भूमि भी परियोजना हेतु आवंटित की जा चुकी है। दिल्ली मेट्रो रेलवे कॉर्पोरेशन को बिजली की आपूर्ति अप्रैल 2019 में शुरू हुई। पूर्ण व्यावसायिक उत्पादन जनवरी 2020 से शुरू हुआ।

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