सत्या राजपूत, रायपुर. शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 में देश में लागू हुआ और प्रदेश में अप्रैल 2010 में लागू हुआ है. देश की लगभग सभी राज्यों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सीट बढ़ती जा रही है लेकिन छत्तीसगढ़ में हर साल सीट कम की जाती है और कम करने के बावजूद सीट फुल नहीं होती है. इससे शिक्षा विभाग को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है? शिक्षा विभाग के अधिकारियों की नीयत पर सवाल उठाए जा रहे हैं?
फिलहाल शिक्षा सत्र 2024-25 के लिए आवेदन करने का दौर जारी है. ऐसे में अगर हम 2023 तक की रिकॉर्ड देखें तब से आज तक एक लाख से ज्यादा आवेदन गरीब परिवार अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए करते हैं लेकिन दुर्भाग्य यह है कि आज तक 52 हजार सीट नहीं भरी है. हर साल हजारों की संख्या में सीट खाली होती है. ऐसे में सवाल उठता है कि जिस राज्य में 77 लाख से अधिक राशन कार्डधारी है. राज्य में 52 हज़ार सीट का नहीं भरना कहीं न कहीं शिक्षा विभाग के मंशा पर सवाल उठाता है? शिक्षा के अधिकार अधिनियम के उद्देश्य मूल्यों को रौंदा जाता है? गरीब बच्चों के प्राइवेट स्कूल में पढ़ने के सपना पर पानी फेरा जाता है?
15 अप्रैल तक मौका
प्रदेश में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन की प्रक्रिया जारी है, 15 अप्रैल तक आवेदन किया जा सकता है. हर साल शिक्षा विभाग अवगत कराया जाता है कि आवेदन करने में क्या क्या दिक्कतें आ रही है. पिछले 20 सालों से सर्वे हुआ ही नहीं है तो क्या 20 सालों में बच्चे पैदा नहीं हुए हैं? क्या इस 20 सालों में पैदा होने वाले बच्चों का कोई गुनाह है कि सर्वे नहीं हुआ तो पढ़ नहीं सकते ?
एंट्री क्लास
एंट्री क्लास यानी पहले तक तीन अलग अलग एंट्री क्लासेस होते थे लेकिन अब एक ही कर दिया गया है इसलिए राज्य में लगभग 33000 सीट एक साल में कम हुई है.
वार्ड और पंचायत का बंधन
हर वार्ड में स्कूल नहीं है यह बात शिक्षा विभाग को भी पता है लेकिन नियम शर्तों में जिस वार्ड में रहते हैं उसी वार्ड में आप आवेदन कर सकते हैं, जिस वार्ड में स्कूल नहीं है क्या वो ग़रीब नहीं हैं ? ना उस बच्चे को पढ़ने का अधिकार नहीं है ?
सीट की संख्या कम हुई
शिक्षा सत्र 2023-24 में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के 85,000 से ज़्यादा सीट थी लेकिन यह संख्या घटकर अब 52 हजार हो गई है. इस तरह पिछले एक साल में 33 हज़ार ग़रीब बच्चों से बच्चों से शिक्षा का सीट छीन लिया गया.
कोर्ट के आदेश का पालन नहीं
2016 में कोर्ट का फ़ैसला किया था की भर्ती के लिए पहली प्राथमिकता तीन किलोमीटर के दायरे को दिया जाए. दूसरी प्राथमिकता में छह किलोमीटर और तीसरे प्राथमिकता में छह से अधिक किलोमीटर भर्ती में प्राथमिकता दी जाए. लेकिन इन आदेशों को अनदेखा कर वार्ड में सीमित कर दिया गया है. चाहे वार्ड में स्कूल हो या ना ?
बीपीएल कार्ड में राशन लेकिन शिक्षा नहीं क्यों ?
शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत बीपीएल कार्ड में नाम होना अनिवार्य किया गया है लेकिन इस कार्ड बस से गरीब परिवारों को शिक्षा नहीं दी जाती है. जिस कार्ड को गरीब मानकर राशन दिया जाता है उसी कार्ड से उसी राज्य में शिक्षा नहीं दी जाती है.
स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी रही है तो आरटीई में कम क्यों हो रहा ?
वही इस मुद्दे को लेकर पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पॉल ने सवाल उठाते हुए कहा कि कोई भी गाइडलाइन जारी किए बिना मनमाने तरीक़े से नियम कानून बदल दिया जाता है. इसका दुष्परिणाम ये हुआ कि देश की छत्तीसगढ़ को छोड़कर सभी राज्यों में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत सीटों में बढ़ोतरी हुई है लेकिन छत्तीसगढ़ में हर साल गिरावट का दौर जारी है. क्या छत्तीसगढ़ में शिक्षा के अधिकार अधिनियम को शिक्षा विभाग बंद करना चाहता है?
समस्या की जड़ पता है तो समाधान क्यों नहीं किया गया ?
जब से शिक्षा के अधिकार अधिनियम लागू हुआ है तब से विभागीय अधिकारियों द्वारा यह तर्क दिया जाता है की लोग एक ही स्कूल में अधिक आवेदन करते हैं, कुछ ही स्कूल है जहां हज़ारों में आवेदन होते हैं और सौ दौ सौ सीट होती है ऐसे में सीट खाली होती है. जब विभाग के ज़िम्मेदार अधिकारियों को इसके कारण पता है तभी तक इसके मूल पर काम क्यों नहीं किया गया ? अगर ईमानदारी से काम किया गया होता तो सीट को भरने के लिए ग़रीब परिवारों को कोर्ट जाना नहीं पड़ता ?
15 अप्रैल तक पहले चरण में आवेदन
लोक शिक्षण संचालनालय के अतिरिक्त संचालक डॉ. योगेश शिवहरे ने बताया कि 15 अप्रैल तक पहले चरण में आवेदन किया जा सकता है. आवेदन के लिए वेबसाइट खुला हुआ है. आठवीं से बारहवीं तक 3, लाख 90, हज़ार बच्चे शिक्षा के अधिकार के अधिनियम के तहत अध्ययनरत है. 6200 से ज़्यादा प्राइवेट स्कूलों में 52,000 सीट है. 15 अप्रैल आवेदन करने की अंतिम तिथि है. 18 अप्रैल से 17 मई तक प्राप्त आवेदन का सत्यापन किया जाएगा. बीस मई से 30 मई तक लॉटरी निकाली जाएगी जून 30 तक स्कूलों में दाख़िला दिलाया जाएगा.
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